सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला और उसके परिजनों के फ़ोन नंबर उस सूची में पाए गए हैं, जिनकी जासूसी पेगासस सॉफ्टवेअर के ज़रिए की गई थी।
'द वायर' ने यह दावा करते हुए कहा कि यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि इन 11 लोगों की जासूसी की गई थी या नहीं।
उनके फ़ोन की फ़ोरेंसिक जाँच नहीं होने की वजह से फ़ोन के इंटरसेप्ट करने के बारे में दावा नहीं किया जा सकता है, पर यह साफ है कि संभावित जासूसी की सूची में ये नंबर थे।
रंजन गोगोई पर आरोप लगाने वाली महिला, उसके पति, दो भाई और दूसरे लोग मिला कर कुल 11 लोगों के फ़ोन नंबर पेगासस सॉफ़्टवेअर बनाने वाली कंपनी एनएसओ के ग्राहकों के डेटाबेस में पाए गए।
उस महिला ने जब ये आरोप रंजन गोगोई पर लगाए, उसके ठीक बाद से ही उसके व उससे जुड़े लोगों के नंबर उस सूची में दर्ज हो गए। इससे यह साफ है कि उसके फ़ोन क्यों सर्विलांस पर डालने वालों की सूची में थे।
राष्ट्रहित ख़तरे में?
सरकार का कहना है कि सिर्फ राष्ट्र हित को ध्यान में रख कर ही किसी की निगरानी की जाती है या उसका फ़ोन इंटरसेप्ट किया जाता है। सवाल उठता है कि उस महिला से राष्ट्र को क्या ख़तरा था।
इतना ही नहीं, जिस समय उस महिला की सुनवाई सु्प्रीम कोर्ट के विशेष पैनल के सामने हुई, उस समय भी उसका फोन संभावित सूची में ही था। यानी उस सुनवाई के दौरान क्या हुआ, इसकी जानकारी दूर बैठे लोगों को हो सकती थी।
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भारत की न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार किसी सीजेआई पर यौन शोषण का आरोप लगा था। सीजेआई रंजन गोगोई पर उन्हीं के दफ़्तर में काम कर चुकी 35 साल की जूनियर कोर्ट असिस्टेंट ने यह आरोप लगाया था।
महिला के मुताबिक़, सीजेआई गोगोई ने अपने निवास कार्यालय पर उसके साथ शारीरिक छेड़छाड़ की और जब उसने इसका विरोध किया तो उसे कई तरह से परेशान किया गया और अंत में उसे नौकरी से भी बर्खास्त कर दिया गया था।
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क्या कहना है पेगासस का?
पेगासस सॉफ़्टवेअर बनाने वाली इज़रायली कंपनी एनएसओ ने ज़ोर देकर कहा है कि वह सिर्फ सरकारों और उनकी एजसियों को ही यह सॉफ़्टवेअर देती है, किसी और को नहीं। उसने यह तो नहीं बताया कि किसे यह सॉफ़्टवेअर बेचा है, पर यह ज़रूर कहा कि ऐसी 36 एजंसियों को पेगासस सॉफ़्टवेअर दिया गया।
यदि एनएसओ की बात सही है तो भारत में सरकार या किसी सरकारी एजंसी ने यह इंटरसेप्ट किया होगा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।
फ्रांस के ग़ैरसरकारी संगठन 'फ़ोरबिडेन स्टोरीज' का कहना है कि उसने लीक किया हुआ दस्तावेज हासिल किया, इसमें वे फ़ोन नंबर हैं, जिन्हें एनएसओ के ग्राहकों ने एकत्रित किया था और उनको इंटरसेप्ट किया था। यानी उन पर क्या बात हो रही है, यह सुना था।
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