संसद के मानसून सत्र में सोमवार का दिन भी हंगामे के नाम रहा और शोर-शराबे के कारण राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही को पहले कई बार और उसके बाद पूरे दिन के लिए स्थगित करना पड़ा। दोनों सदनों में सुबह जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के सांसदों ने कृषि क़ानूनों और पेगासस जासूसी के मामले को उठाया और शोर-शराबा होने लगा।
हंगामे की वजह से पहले राज्यसभा को 12 बजे और लोकसभा को 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। इससे पहले भी संसद के दोनों सदनों में कई बार हंगामा हो चुका है और इस वजह से कामकाज नहीं हो सका।
12 बजे राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही फिर से हंगामा होने लगा और स्पीकर ने सदन को 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
लोकसभा में जैसे ही 2 बजे कार्यवाही शुरू हुई तो किसान आंदोलन और पेगासस जासूसी मामले को लेकर हंगामा होने लगा और स्पीकर ने सदन को 2.45 तक स्थगित कर दिया जबकि राज्यसभा में भी शोर-शराबे के कारण ऐसा ही फ़ैसला हुआ और सदन को 3 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा। लोकसभा में इसके बाद फिर शोरगुल हुआ और सदन को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया जबकि राज्यसभा को पहले 5 बजे तक और फिर पूरे दिन के लिए स्थगित करना पड़ा।
शुक्रवार को जबरदस्त हंगामे और शोरगुल के बीच स्पीकर ने लोकसभा को 26 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया था दूसरी ओर राज्यसभा में भी यही हालात रहे थे।
पेगासस जासूसी मामला और किसानों के मुद्दों को लेकर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल केंद्र सरकार पर जोरदार ढंग से हमलावर हैं। 19 जुलाई से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र का अधिकतर वक़्त हंगामे की भेंट चढ़ गया है।
ट्रैक्टर चलाकर संसद पहुंचे राहुल
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को ट्रैक्टर चलाकर संसद पहुंचे। राहुल गांधी के साथ ट्रैक्टर पर राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ ही पंजाब कांग्रेस के कुछ सांसद भी मौजूद रहे।
राहुल गांधी के इस क़दम से कांग्रेस ने यह संदेश देने की कोशिश है कि वह किसानों की आवाज़ को पुरजोर तरीक़े से उठाती रहेगी। साथ ही कांग्रेस यह भी दिखाना चाहती है कि विपक्षी दलों में वह सबसे मजबूत ढंग से किसानों के साथ खड़ी है।
जारी है ‘किसान संसद’
केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों की संसद जारी है। इस संसद का आयोजन संसद से कुछ ही दूरी पर स्थित जंतर-मंतर पर किया जा रहा है। किसानों की यह संसद 13 अगस्त तक चलेगी। सोमवार को इसमें सिर्फ़ महिलाओं को ही शामिल किया गया।
किसान संसद के दौरान इसमें शामिल सदस्यों ने अपने सवाल स्पीकर बनाए गए शख़्स से पूछे हैं और संसद में शामिल लोग ही सवालों के जवाब दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि लोकसभा और राज्यसभा की तर्ज पर ही इस किसान संसद को चलाया जा रहा है। किसानों को विपक्षी राजनीतिक दलों की ओर से भी जोरदार समर्थन मिल रहा है।
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