कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने इस्तीफ़ा दे दिया है। उनके इस्तीफ़े को लेकर बीते कई दिनों से अटकलें लगाई जा रही थीं। इस बीच, मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की दिल्ली दौड़ तेज़ हो गई है। इस्तीफ़े का एलान करते वक़्त येदियुरप्पा भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि वह हमेशा अग्निपरीक्षा से गुजरे हैं। इस्तीफ़े के एलान के बाद येदियुरप्पा राजभवन पहुंचे और उन्होंने राज्यपाल थावर चंद गहलोत को इस्तीफ़ा सौंप दिया। जिसे राज्यपाल ने इसे स्वीकार कर लिया।
बीएस येदियुरप्पा ने कुछ दिन पहले दिल्ली आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की थी। इसके बाद वह बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मिले थे।
इन मुलाक़ातों के बाद मीडिया में ऐसी चर्चा जोरों से थी कि येदियुरप्पा अपने पद से इस्तीफ़ा देंगे और बीजेपी हाईकमान नए मुख्यमंत्री का नाम तय करने में जुटा है और आख़िरकार उन्होंने इस्तीफ़ा दे ही दिया।
उधर, लिंगायत समुदाय के संतों का विरोध जारी है। लिंगायत संतों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कुछ दिन पहले येदियुरप्पा से मुलाक़ात भी की थी।
इन फ़ैक्टर्स पर हो रहा विचार
बीजेपी हाईकमान और आरएसएस नए मुख्यमंत्री के चयन के लिए कई फ़ैक्टर्स को ध्यान में रख रहा है।
लिंगायत समुदाय का फ़ैक्टर
‘द हिंदू’ के मुताबिक़, पहला फ़ैक्टर यह है कि येदियुरप्पा की जगह पर लिंगायत समुदाय के ही किसी नेता को जगह दी जाए। इससे लिंगायत समुदाय की नाराज़गी का ख़तरा कम होगा। हालांकि लिंगायत समुदाय व इसके संतों के बीच येदियुरप्पा जैसी स्वीकार्यता दूसरे नेताओं की नहीं है।
संघ परिवार का फ़ैक्टर
दूसरा फ़ैक्टर संघ परिवार का है। इस फ़ैक्टर की हिमायत करने वालों का कहना है कि बीजेपी को एक समुदाय तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि हिंदुत्व की विचारधारा पर आगे बढ़ना चाहिए।
‘द हिंदू’ के मुताबिक़, इस फ़ैक्टर के तहत जो नाम चर्चा में हैं, उनमें वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले राष्ट्रीय सचिव सीटी रवि और उप मुख्यमंत्री सीएन अश्वथ नारायण का नाम शामिल है। वोक्कालिगा लिंगायत के बाद प्रमुख समुदाय है और इसका बड़ा हिस्सा कांग्रेस का समर्थन करता है।
युवा फ़ैक्टर
एक और फ़ैक्टर युवाओं को वरीयता देने का है। ‘द हिंदू’ के मुताबिक़, हाईकमान 50 साल तक के किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाना चाहता है जो आगे 10 साल तक राज्य में पार्टी का नेतृत्व कर सके।
ये नेता हैं दौड़ में
जिन दावेदारों के नाम की सबसे ज़्यादा चर्चा है, उनमें राज्य के खनन मंत्री मुरूगेश निरानी का नाम ऊपर है। क्योंकि हालिया दिनों में निरानी ने कई बार दिल्ली का दौरा कर अमित शाह सहित कई बड़े नेताओं के साथ मुलाक़ात की है। निरानी का भी लिंगायत समुदाय में अच्छा प्रभाव माना जाता है। इसके अलावा लिंगायत समुदाय के विधायक अरविंद बेल्लाड का भी नाम चर्चा में है।
पार्टी में कुछ लोगों का मानना है कि इस पद पर आरएसएस से जुड़े किसी शख़्स को बिठाया जाना चाहिए जैसे नरेंद्र मोदी को 2001 में गुजरात में मुख्यमंत्री बनाया गया था। ऐसे लोगों में पार्टी के महासचिव (संगठन) बीएल संतोष का नाम चल रहा है। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी का नाम भी चर्चा में है।
इसके अलावा कर्नाटक के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई, लिंगायत समुदाय से आने वाले उद्योग मंत्री जगदीश शेट्टार, आदिवासी समाज से आने वाले मंत्री बी. श्रीरामुलु का भी नाम शामिल है।
शर्तों पर हो रहा विचार
जुलाई, 2019 में जेडीएस-कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद येदियुरप्पा ने एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी। कर्नाटक में 2023 में विधानसभा के चुनाव होने हैं और पार्टी हाईकमान राज्य में नया नेतृत्व उभारना चाहता है क्योंकि येदियुरप्पा की उम्र 78 साल हो चुकी है।
लेकिन वह उन्हें जबरन हटाने का जोख़िम नहीं ले सकता क्योंकि येदियुरप्पा 2013 में अपनी ताक़त का अहसास हाईकमान को करा चुके हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के लिए येदियुरप्पा की कुछ शर्तें हैं जिन पर पार्टी हाईकमान विचार कर रहा है।
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