लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी के पास चीन की सेना के साथ झड़प में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर नागरिक समाज और कार्यकर्ता तो सवाल पूछ ही रहे हैं विपक्ष भी सरकार से जवाब माँग रहा है। विपक्षी दलों ने सरकार से कहा है कि चीन की आक्रामकता के ख़िलाफ़ दृढ़ता से खड़ा रहा जाए। इसके साथ ही इन दलों ने यह साफ़ करने को कहा है कि सीमा पर बनी वास्तविक स्थिति को देश को बताया जाए।
चीनी सैनिकों द्वारा हमला कर हमारे उच्च सैनिक अधिकारी व जवानों को हताहत करने की खबरों से पूरा देश क्षुब्ध है, शौकाकुल है व रोष में है पर प्रधानमंत्री मोदी जी और रक्षा मंत्री ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली है।
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) June 16, 2020
क्या यही राजधर्म है?
देश को जबाब क्यों नही देते?#WeakestPMModi
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने भी रक्षा मंत्रालय और प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाया, और पूछा, ' क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि किसी अन्य देश के प्रमुख ने देश में विदेशी सैनिकों की घुसपैठ के 7 सप्ताह बाद तक एक शब्द भी नहीं कहे?'
बेशक, भारतीयों ने अपना जीवन खो दिया है। वे कौन से बहादुर लोग हैं जिन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया है? क्या उनमें से एक तमिलनाडु में रामनाथपुरम जिले से एक तमिल / भारतीय है?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) June 16, 2020
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने देर रात ट्वीट किया, 'भारत के ख़िलाफ़ चीन द्वारा किए गए जघन्य अपराध पर पूरा देश स्तब्ध और विचलित है...। हमारे शहीदों का ख़ून व्यर्थ नहीं जाएगा, हमें दुश्मन को उस भाषा से जवाब देना होगा जो वे समझते हैं ...।'
Our martyrs blood will not go in vain, we need to respond the enemy by the language they understand, Indian Army should keep powder dry for long haul, the country is mourning for martyrs, really heart rending episode
— Adhir Chowdhury (@adhirrcinc) June 16, 2020
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सीपीएम ने एक आधिकारिक बयान की माँग की कि वहाँ क्या हुआ। उन्होंने कहा, 'यह ज़रूरी है कि दोनों सरकारें इस स्थिति को ख़त्म करने के लिए तुरंत उच्च स्तरीय वार्ता शुरू करें।'
अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि सरकार से इन हालातों में भारत-चीन सीमा पर वास्तविक स्थिति के स्पष्टीकरण की अपेक्षा है।
जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ़्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, 'यदि "डी-एस्केलेशन प्रक्रिया" के दौरान चीनी एक भारतीय सेना के कर्नल और दो जवानों को गोली चलाकर मार दे तो कल्पना करें कि स्थिति कितनी बढ़ गई होगी। यह तब होता है जब मीडिया सरकारी लाइन का प्रचार करता है कि सवाल पूछना राष्ट्र-विरोधी है।'
बसपा नेता दानिश अली ने सरकार से स्थिति पर सफ़ाई देने और तेज़ी से कार्य करने को कहा।
जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने डी-एस्केलेशन प्रक्रिया के दौरान भारतीय सैनिकों को कैसे मारा गया, इस पर स्पष्टीकरण माँगा। उन्होंने कहा, 'राष्ट्रहित में पीएम और रक्षा मंत्री को चीन के साथ सीमा मुद्दे पर राष्ट्र को एक स्पष्ट तसवीर पेश करनी चाहिए।'
Reports coming from #GalwanValley are disturbing. Why did our soldiers lose their lives during a de-escalation process? In national interest, the PM and RM should offer a clearer picture to the nation on the border issue with the Chinese. #LADAKHSTANDOFF
— H D Devegowda (@H_D_Devegowda) June 16, 2020
बता दें कि लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए हैं। भारतीय सेना ने इसकी पुष्टि की है। इनमें एक आर्मी अफ़सर भी शामिल हैं। यह झड़प सोमवार (15 जून) को हुई थी। बताया गया है कि झड़प के दौरान पत्थरों, धातु के टुकड़ों का इस्तेमाल दोनों ओर से किया गया लेकिन गोली नहीं चली है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, इस झड़प में चीनी सेना के 43 जवान हताहत हुए हैं।
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