राज्यसभा में विपक्ष के 12 सदस्यों के निलंबन के मुद्दे को सुलझाने के लिए विपक्षी दलों की एक बैठक मंगलवार शाम हुई, जिसकी अध्यक्षता कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने की। इस बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम, शिवसेना और दूसरे दलों के नेता भी मौजूद थे।
एनसीपी के शरद पवार, शिवसेना के संजय राउत, डीएमक के टी. आर. बालू, सीपीआईएम के सीताराम येचुरी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने सोनिया गांधी के आवास पर हुई इस बैठक में भाग लिया।
लेकिन इस बैठक में तृणमूल कांग्रेस के आमंत्रित नहीं किया गया था। संसद परिसर के अंदर इस मुद्दे पर हुए प्रदर्शन में टीएमसी के सदस्य भी सक्रिय थे, पर समझा जाता है कि कांग्रेस के साथ चल रहे मनमुटाव के कारण उन्हें बैठक में नहीं बुलाया गया था।
इस बैठक में यह तय हुआ कि एनसीपी नेता राज्यसभा के स्पीकर वेंकैया नायडू से बात करें और इस मामले के निपटारे की कोशिश करें।
यह अहम इसलिए है कि इसके पहले वेंकैया नायडू ने विपक्ष के नेता व सदन के नेता से कहा था कि वे इस मुद्दे पर मिल बैठ कर बात करें और इसे सुलझा लें।
क्या है मामला?
बता दें कि शीतकालीन सत्र की शुरुआत में ही विपक्ष के 12 सदस्यों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया। उन पर पिछले सत्र के दौरान शोर शराबा और हल्ला गुल्ला करने का आरोप है। विपक्ष का कहना है कि जिस सत्र का यह मामला है, उसी सत्र के लिए कार्रवाई की जा सकती है, बाद के सत्र में नहीं। लिहाज़ा, मानसून सत्र के दौरान हुई किसी बात के लिए शीतकालीन सत्र में किसी को दंडित नहीं किया जा सकता है।
क्यों हुआ निलंबन?
सांसदों के निलंबन के पीछे पिछले यानी मॉनसून सत्र में किए गए ख़राब व्यवहार को कारण बताया गया है। मॉनसून सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में खासा हंगामा हुआ था। राज्यसभा में विपक्षी सांसदों के वेल में आने की वजह से मार्शल्स को बुलाया गया था और उनकी कुछ सांसदों के साथ धक्का-मुक्की हुई थी। यह घटना 11 अगस्त को हुई थी।
- निलंबित सांसदों में कांग्रेस से फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह हैं।
- टीएमसी से डोला सेन और शांता छेत्री।
- शिव सेना से प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई।
- सीपीएम से एलमारम करीम सीपीआई से बिनॉय विश्वम शामिल हैं।
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