loader

‘दुष्कर्मी से शादी’ वाली टिप्पणी पर CJI बोबडे इस्तीफा दें: खुला ख़त

दुष्कर्म पीड़िता से आरोपी की शादी कराने की टिप्पणी को लेकर महिला अधिकारों की पैरवी करने वाले क़रीब 4000 एक्टिविस्टों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे से इस्तीफ़ा देने की मांग की है। इन्होंने एक खुला ख़त लिखा है और देश की महिलाओं से माफी मांगने की मांग की है। 

ख़त लिखने वालों में महिला अधिकार की पैरवी करने वाले, प्रगतिशील समूहों और संबंधित नागरिकों का एक समूह है। ख़त में कहा गया है कि एक बलात्कारी से स्कूल की पीड़ित लड़की से शादी करने और सर्वोच्च न्यायालय में वैवाहिक बलात्कार को सही ठहराने के लिए उन्हें इस्तीफा देना चाहिए।

सरकारी कर्मचारी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाल ही में उस व्यक्ति मोहित सुभाष चव्हाण से कहा था, 'यदि आप शादी करना चाहते हैं तो हम आपकी मदद कर सकते हैं। यदि नहीं, तो आप अपनी नौकरी खो देंगे और जेल जाएँगे। आपने लड़की को बहकाया, उसके साथ बलात्कार किया।'

ताज़ा ख़बरें

बेंच ने आगे कहा, 'हम आपको शादी करने के लिए मजबूर नहीं कर रहे हैं। अगर आप करेंगे तो हमें बताएँ। नहीं तो आप कहेंगे कि हम आपको उससे शादी करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।' मुख्य न्यायाधीश ने यह कहते हुए उस व्यक्ति की गिरफ्तारी पर एक महीने तक के लिए रोक लगा दी।

सुप्रीम कोर्ट से ऐसी टिप्पणी आने के बाद देश भर में तीखी प्रतिक्रिया हुई। ख़ासकर नागरिक समाज और महिला अधिकारों से जुड़े रहे एक्टिविस्ट और संगठनों को यह टिप्पणी आपत्तिजनक लगी। मुख्य न्यायाधीश के नाम यह जो ताज़ा ख़त आया है उसमें भी इसी बात को लेकर आपत्ति जताई गई है। 

ख़त में लिखा गया है, 'सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई जैसे ऊँचे पद से अन्य अदालतों, न्यायाधीशों, पुलिस और अन्य सभी क़ानून लागू करने वाली एजेंसियों को यह संदेश जाता है कि न्याय भारत में महिलाओं का संवैधानिक अधिकार नहीं है। यह लड़कियों और महिलाओं को आगे चुप कराने का ही काम करेगा।' 

ख़त में आगे कहा गया है, 'बलात्कारियों को यह संदेश देता है कि शादी बलात्कार का लाइसेंस है; और इस तरह का लाइसेंस प्राप्त करने से बलात्कारी वास्तव में अपने अपराध को डिक्रिमिनलाइज यानी अपराध मुक्त कह सकता है या वैध कह सकता है।'

खुले ख़त में एक्टिविस्टों का कहना है, 'यह हमें ग़ुस्सा दिलाता है कि भारत के संविधान की व्याख्या करने और फ़ैसला देने वाले भारत के मुख्य न्यायाधीश को भी 'प्रलोभन', 'बलात्कार', और 'विवाह' का अर्थ समझाने की ज़िम्मेदारी महिलाओं पर ही है।' ख़त में कहा गया है कि 'आपके शब्द देश की सर्वोच्च अदालत की प्रतिष्ठा को कमतर करते हैं'।

open letter to cji bobde to step down over offer to rapist marrying victim - Satya Hindi

खुले पत्र का समर्थन करने वालों में एनी राजा, मरियम धवले, कविता कृष्णन, कमला भसीन, मीरा संघमित्रा, अरुधति धूरू जैसी कई प्रसिद्ध महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं। एडमिरल एल. रामदास, अरुणा रॉय, निखिल डे, आनंद सहाय, देवकी जैन, जॉन दयाल, लक्ष्मी मूर्ति, अपूर्वानंद, फराह नकवी, आयशा किदवई, अंजा कोवाक्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों के प्रख्यात नागरिकों ने भी ख़त पर हस्ताक्षर किए हैं। 

इनके अलावा ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेन एसोसिएशन, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमेन्स एसोसिएशन, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन, सहेली, यौन हिंसा और राज्य दमन के ख़िलाफ़ महिला, THITS, महिला उत्पीड़न के ख़िलाफ़ फ़ोरम, बेबाक कलेक्टिव, भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन, दलित महिला लड़ाई, BASO जैसे महिला संगठन भी ख़त लिखने वालों में हैं। ख़त लिखने वालों में ऐसे क़रीब 50 महिला समूह हैं। 

देश से और ख़बरें
बता दें कि यह मामला मोहित सुभाष चह्वाण नामक व्यक्ति की ज़मानत याचिका से जुड़ा है। चह्वाण महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिक प्रोडक्शन कंपनी के कर्मचारी हैं, उन पर नाबालिग स्कूली लड़की से बलात्कार करने का आरोप है और पॉक्सो के तहत मुक़दमा चल रहा है। इसके पहले निचली अदालत ने चह्वाण की गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने उसे रद्द कर दिया। इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें