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नूपुर फिर पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट, आज होगी सुनवाई 

बीजेपी की निलंबित नेता नूपुर शर्मा एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं। नूपुर ने अपनी याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा की गई कड़ी टिप्पणियों के बाद उन्हें फिर से धमकियां मिल रही हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 1 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान नूपुर शर्मा को जमकर लताड़ लगाई थी और कहा था कि उनका बयान बेहद खराब है और उन्हें इसके लिए पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।

नूपुर ने इस बार भी सुप्रीम कोर्ट से उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने और उनके खिलाफ अलग-अलग राज्यों में दर्ज 9 मामलों को क्लब करने का अनुरोध अदालत से किया है। निलंबित बीजेपी नेता के खिलाफ पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र में एफआईआर दर्ज की गई हैं।  

नूपुर की याचिका पर आज सुनवाई होगी और पिछली बार सख्त टिप्पणी करने वाली जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ही इस बार भी इस मामले में सुनवाई करेगी।

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नूपुर शर्मा ने एक टीवी चैनल पर डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी जिसके बाद देश भर में मुस्लिम समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए थे।

नूपुर शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा की गई आलोचना के बाद उसे फ्रिंज एलिमेंट एक बार फिर बलात्कार और मौत की धमकियां दे रहे हैं। नूपुर ने अपनी याचिका में पिछली बार भी इन धमकियों का जिक्र किया था लेकिन अदालत ने यह टिप्पणी की थी, “उन्हें धमकियां मिल रही हैं या वह खुद सुरक्षा के लिए खतरा बन गई हैं। देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए यह महिला अकेले जिम्मेदार है।” 

सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ अभियान 

इन टिप्पणियों के बाद सुप्रीम कोर्ट को लेकर सोशल मीडिया पर माहौल बेहद गर्म रहा था और कई दिन तक सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ अभियान चला था। इसे लेकर जस्टिस पारदीवाला ने कहा था कि न्यायाधीशों पर उनके फैसलों के लिए होने वाले व्यक्तिगत हमले एक खतरनाक स्थिति की ओर ले जाते हैं जहां पर न्यायाधीशों को यह सोचना पड़ता है कि मीडिया क्या सोचता है बजाय इसके कि कानून वास्तव में क्या सोचता है। उन्होंने सोशल मीडिया के रेगुलेशन की बात भी कही थी। 

इसके अलावा बड़ी संख्या में पूर्व जजों, पूर्व नौकरशाहों और सेना के रिटायर्ड अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के खिलाफ एक खुला पत्र लिखा था।

पुलिस, टीवी चैनल को फटकार 

शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस और उस टीवी डिबेट को कराने वाले टीवी चैनल की खिंचाई करते हुए पूछा था, “दिल्ली पुलिस ने क्या किया, हमसे हमारा मुंह मत खुलवाइए, टीवी डिबेट किस बारे में थी, क्या सिर्फ एजेंडा चलाने के लिए?, उन्होंने एक विचाराधीन विषय को क्यों चुना।”

अदालत ने कहा था कि हमने वह डिबेट देखी है कि उन्हें किस तरह उकसाया गया लेकिन जैसे उन्होंने यह सब कहा और बाद में यह भी कहा कि वह वकील हैं, यह बेहद शर्मनाक है और उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।

अदालत ने कड़ा रुख जारी रखते हुए कहा था, “क्या हुआ अगर वह किसी राजनीतिक दल की प्रवक्ता हैं, उन्हें लगता है कि उनके पास सत्ता की ताकत है और वह देश और कानून का सम्मान किए बिना कोई भी बयान दे सकती हैं।” अदालत ने कहा कि इससे उनके अहंकारी चरित्र का पता चलता है। 

अदालत ने कहा था कि नूपुर शर्मा ने उनके बयान पर विवाद होने के बहुत देर बाद माफी मांगी और वह भी इस शर्त के साथ कि यदि किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो वह माफी मांगती हैं।

अदालत ने कहा था कि किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल के प्रवक्ता होने की वजह से किसी को यह लाइसेंस नहीं मिल जाता कि वह इस तरह की बात कहे।

अदालत ने कहा था कि नूपुर शर्मा ने इस मामले में निचली अदालतों का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया। इस याचिका में उनके अहंकार की बू आती है और देश के मजिस्ट्रेट उन्हें बहुत छोटे लगते हैं।

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बता दें कि नूपुर शर्मा की टिप्पणी के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग देश भर में सड़कों पर उतर आए थे और इस दौरान कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन भी हुए थे। नूपुर शर्मा की टिप्पणी का समर्थन करने को लेकर उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल और महाराष्ट्र के अमरावती में उमेश कोल्हे की हत्या कर दी गई थी। 

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