भारत के लॉ कमीशन (विधि आयोग) का मानना है कि पारिवारिक या व्यक्तिगत मामलों के कानून में टकराव को सुलझाने के लिए कॉमन सिविल कोड (यूसीसी) की जरूरत नहीं है। हालांकि लॉ कमीशन का यह भी मानना है कि शादी, तलाक, गुजारा भत्ता कानूनों के अलावा महिला और पुरुष की शादी योग्य उम्र में बदलाव होना चाहिए।
कॉमन सिविल कोड की जरूरत ही नहींः लॉ कमीशन
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- 30 Oct, 2022
उत्तराखंड के बाद गुजरात ने कॉमन सिविल कोड या यूसीसी को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इस वजह से यूसीसी फिर से चर्चा में है। हालांकि केंद्र की बीजेपी सरकार ने 2016 में यूसीसी पर लॉ कमीशन से सलाह मांगी थी तो भारतीय विधि आयोग ने 2018 में अपने परामर्श पत्र में कहा था कि यूसीसी की जरूरत नहीं है। इसके बजाय कुछ परिवार कानून और कुछ पर्सनल कानूनों में सुधार की जरूरत है। लॉ कमीशन ने और क्या-क्या कहा था, जानिएः
