भारत के लॉ कमीशन (विधि आयोग) का मानना है कि पारिवारिक या व्यक्तिगत मामलों के कानून में टकराव को सुलझाने के लिए कॉमन सिविल कोड (यूसीसी) की जरूरत नहीं है। हालांकि लॉ कमीशन का यह भी मानना है कि शादी, तलाक, गुजारा भत्ता कानूनों के अलावा महिला और पुरुष की शादी योग्य उम्र में बदलाव होना चाहिए।