सांसद अब संसद भवन के परिसर में किसी तरह का धरना नहीं दे सकेंगे। राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी की ओर से जारी एक लिखित आदेश में कहा गया है कि सांसद किसी भी तरह के प्रदर्शन, धरना, हड़ताल, उपवास या फिर कोई धार्मिक कार्यक्रम करने के उद्देश्य से संसद भवन के परिसर का इस्तेमाल नहीं करें। आदेश में कहा गया है कि सभी सांसदों से इसके लिए सहयोग की अपेक्षा की जाती है।
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने ट्वीट कर इस पर तंज कसा है। रमेश ने कहा है कि यह विश्वगुरु की नई सलाह है। उन्होंने कहा है कि धरना (डरना) मना है।
बता दें कि 18 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है और उससे ठीक पहले आए इस आदेश का जोरदार विरोध शुरू हो गया है।
असंसदीय शब्दों पर रार
बता दें कि गुरुवार को ही लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी किए गए बुलेटिन में कुछ शब्दों को असंसदीय करार दिए जाने पर अच्छा-खासा हंगामा हुआ था। विपक्ष के कई नेताओं ने कहा था कि वे इन शब्दों का इस्तेमाल जरूर करेंगे।
उन्होंने कहा था कि पहले इस तरह के असंसदीय शब्दों की एक किताब का विमोचन किया जाता था। कागज की बर्बादी से बचने के लिए हमने इसे इंटरनेट पर डाल दिया है। किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, हमने उन शब्दों का संकलन जारी किया है जिन्हें हटा दिया गया है।
स्पीकर ने कहा था कि कुछ शब्दों को हटाने का निर्णय संसद के कुछ सदस्यों द्वारा उठाई गई आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। जिन शब्दों को हटा दिया गया है, वे संसद में विपक्ष के साथ-साथ सत्ता में पार्टी द्वारा उपयोग किए गए हैं। केवल विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों को चुनिंदा तरीके से हटाने जैसा कुछ नहीं है।
संसद भवन के परिसर में आमतौर पर धरना प्रदर्शन होते रहते हैं। तमाम मुद्दों को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष के सांसद आवाज़ को बुलंद करते हैं। संसद के पिछले सत्र बेहद हंगामेदार रहे हैं और इनमें कृषि कानूनों से लेकर पेगासस जासूसी मामला सहित कई अन्य मुद्दों पर विपक्ष और सरकार आमने-सामने आ चुके हैं। इस दौरान संसद का माहौल काफी गर्म रहा था।
ऐसे में सवाल यह है कि विपक्षी दल या सत्ता पक्ष के सांसद अपनी मांगों को लेकर संसद भवन के परिसर में आवाज़ नहीं उठाएंगे तो फिर कहां उठाएंगे।
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