प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि युद्धग्रस्त यूक्रेन से छात्रों की जारी निकासी दुनिया में भारत के बढ़ते प्रभाव का प्रमाण है।
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के तुरंत बाद भारत सरकार ने वहाँ फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा शुरू किया। मोदी ने कहा है कि यूक्रेन से अब तक 1,000 से अधिक छात्रों को निकाला जा चुका है। प्रधानमंत्री ने कहा, 'ऐसे समय में जब अन्य देशों को अपने नागरिकों को निकालना मुश्किल हो रहा है, हम अपने लोगों को बाहर निकालने में कामयाब रहे। यह दुनिया में भारत के बढ़ते प्रभाव को साबित करता है।' प्रधानमंत्री मोदी पुणे में सिम्बायोसिस विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती कार्यक्रम में बोल रहे थे।
प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान आज तब आया है जब आज ही कुछ देर पहले यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने युद्धग्रस्त यूक्रेन में अभी भी फँसे सभी भारतीय नागरिकों से तत्काल निकासी के लिए एक गूगल फॉर्म भरने को कहा है। यूक्रेन के दूतावास से अलग हंगरी में भारतीय दूतावास ने ट्वीट किया है, 'महत्वपूर्ण घोषणा: भारतीय दूतावास ने आज ऑपरेशन गंगा उड़ानों के अपने अंतिम चरण की शुरुआत की।'
विदेश मंत्रालय का यह बयान तब आया जब सूमी में बड़ी संख्या में फँसे भारतीयों ने वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया। उसमें उन्होंने दावा किया कि उनको कुछ भी मदद नहीं मिली है। उन्होंने वीडियो में यह भी कहा कि उनके पास खाने-पीने के सामान भी नहीं हैं।
एक वीडियो में उन्होंने कहा कि उन्होंने 50 किलोमीटर दूर रूसी सीमा तक एक जोखिम भरा यात्रा करने का फ़ैसला किया है। उन्होंने दावा किया कि यह सूमी से उनका 'आख़िरी वीडियो' होगा। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें कुछ हुआ तो भारत सरकार और यूक्रेन में उसका दूतावास ज़िम्मेदार होंगे। हालाँकि, दूतावास द्वारा संपर्क किए जाने के बाद छात्रों ने सूमी नहीं छोड़ने का फ़ैसला किया।
इसके अलावा सूमी शहर से और भी कुछ वीडियो आए जिनमें उन्हें भारत सरकार से बचाने के लिए गुहार लगाते हुए देखा जा सकता है। वे उस वीडियो में कहते नज़र आते हैं कि आसपास विस्फोट की आवाज़ें सुनी जा रही हैं, उनके पास खाने पीने के लिए अब कुछ नहीं बचा है। वे वीडियो में तुरंत उन्हें वहाँ से सुरक्षित निकालने की अपील करते हुए नज़र आते हैं।
इसके अलावा भी कई वीडियो आते रहे हैं जिनमें भारतीय छात्रों को रोते-बिलखते देखा जा सकता है। शुरुआत में आए कई वीडियो में भी छात्र आरोप लगाते रहे थे कि उनको कोई मदद नहीं मिली और यूक्रेनी पुलिस ने उनके साथ ग़लत व्यवहार किया है। ऐसे वीडियो में छात्रों की शिकायतों के बाद विपक्ष ने उस अभियान के बारे में सवाल उठाए हैं।
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