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संघ की नसीहत के बीच पीएम बोले- सोशल मीडिया हैंडल से 'मोदी का परिवार' हटा लें 

एनडीए की गठबंधन सरकार के गठन और एक दिन पहले ही आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा तीखा बयान दिए जाने के बीच अब पीएम मोदी ने सोशल मीडिया हैंडलों से 'मोदी का परिवार' हटाने का आग्रह किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनावों में भारत के लोगों के अटूट समर्थन के लिए मंगलवार को उनका आभार व्यक्त किया और कहा कि वे अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल से 'मोदी का परिवार' का नारा हटा लें। एक्स पर एक पोस्ट में पीएम मोदी ने कहा, "चुनाव अभियान के दौरान पूरे भारत में लोगों ने मेरे प्रति स्नेह के प्रतीक के रूप में अपने सोशल मीडिया में 'मोदी का परिवार' जोड़ा। मुझे इससे बहुत ताकत मिली। भारत के लोगों ने एनडीए को लगातार तीसरी बार बहुमत दिया है, जो एक तरह से रिकॉर्ड है, और हमें अपने देश की बेहतरी के लिए काम करते रहने का जनादेश दिया है।"

उन्होंने पोस्ट में आगे कहा, "हम सभी एक परिवार हैं, का संदेश प्रभावी ढंग से पहुंचाए जाने के बाद, मैं एक बार फिर भारत के लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं और अनुरोध करता हूं कि आप अब अपने सोशल मीडिया से 'मोदी का परिवार' शब्द हटा दें। डिस्प्ले नाम बदल सकता है, लेकिन भारत की प्रगति के लिए प्रयास करने वाले एक परिवार के रूप में हमारा बंधन मजबूत और अटूट है।"

प्रधानमंत्री मोदी ने 'मोदी का परिवार' अभियान तब चलाया था जब लालू यादव ने एक बयान से उनपर हमला किया था। आरजेडी की 'जन विश्वास रैली' में लालू यादव ने कहा था कि पीएम मोदी आजकल परिवारवाद का जिक्र कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'ये आजकल परिवारवाद पर हमला कर रहे हैं। कहते हैं कि लोग परिवार के लिए लड़ रहे हैं। आपके पास परिवार नहीं है। मैं तो कहता हूँ कि वह हिंदू ही नहीं हैं। आपकी माता जी का जब देहांत हो गया तो हर हिंदू अपनी मां के शोक में बाल-डाढ़ी छिलवाता (मुंडन करवाता) है। आप बताओ आपने क्यों नहीं किया?'

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इसके बाद पीएम मोदी ने एक सभा में इसका जवाब दिया और कहा कि देश के 140 करोड़ लोग उनके परिवार हैं। पीएम मोदी के भाषण के बाद बीजेपी ने सोशल मीडिया पर 'मोदी का परिवार' ट्रेंड कराया जिसमें मंत्रियों से लेकर कार्यकर्ताओं तक ने अपने एक्स हैंडल में प्रोफाइल नाम में मोदी का परिवार जोड़ दिया। 

पीएम की घोषणा के बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे शीर्ष भाजपा नेताओं सहित देश भर के कई लोगों ने अपने एक्स हैंडल पर 'मोदी का परिवार' का नारा जोड़ दिया था।

पीएम मोदी का यह फ़ैसला तब आया है जब एक दिन पहले ही आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत संकेतों में पीएम मोदी और बीजेपी सरकार पर बरसे हैं। भागवत ने कहा कि एक सच्चे सेवक में अहंकार नहीं होता और वह दूसरों को कोई नुकसान पहुंचाए बिना काम करता है।
चुनाव अभियान को लेकर भागवत ने कहा कि चुनाव के दौरान मर्यादा नहीं रखी गई। भागवत ने कहा, 'चुनाव लोकतंत्र की एक आवश्यक प्रक्रिया है। इसमें दो पक्ष होने के कारण प्रतिस्पर्धा होती है। चूंकि यह प्रतिस्पर्धा है, इसलिए खुद को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। ...झूठ का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। संसद में जाने और देश चलाने के लिए लोगों को चुना जा रहा है। वे सहमति बनाकर ऐसा करेंगे, यह प्रतिस्पर्धा कोई युद्ध नहीं है।'
narendra modi asks social media handles to remove modi ka parivar - Satya Hindi

भागवत ने आगे कहा, 'एक-दूसरे की जिस तरह की आलोचना की गई, जिस तरह से अभियान चलाने से समाज में मतभेद पैदा होगा और विभाजन होगा - इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। आरएसएस जैसे संगठनों को भी इसमें बेवजह घसीटा गया। तकनीक की मदद से झूठ को पेश किया गया। झूठ को प्रचारित करने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया। ऐसा देश कैसे चलेगा? इसे विपक्ष कहते हैं। इसे विरोधी नहीं माना जाना चाहिए। वे विपक्ष हैं, एक पक्ष को उजागर कर रहे हैं। उनकी राय भी सामने आनी चाहिए। चुनाव लड़ने की एक गरिमा होती है। उस गरिमा को बनाए नहीं रखा गया।'

मोहन भागवत महाराष्ट्र के नागपुर में संघ के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, 'मणिपुर में शांति का इंतजार करते हुए एक साल हो गया है। पिछले 10 सालों से राज्य में शांति थी, लेकिन अचानक राज्य में फिर से बंदूक संस्कृति बढ़ गई। ऐसा लगता था कि पुरानी बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है। वहां अचानक कलह उपज गया या उपजाया गया, उसकी आग में अभी तक जल रहा है, त्राहि-त्राहि कर रहा है और उस पर ध्यान नहीं है? प्राथमिकता देकर इस पर विचार करना हमारा कर्तव्य है।'

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'कड़ी मेहनत से लक्ष्य मिलता है, सोशल मीडिया पोस्ट से नहीं'

संघ से जुड़ी एक पत्रिका ऑर्गनाइजर ने एक लेख छापा है जिसमें कहा गया है कि भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने लोकसभा चुनाव में मदद के लिए आरएसएस से संपर्क नहीं किया और इस वजह से पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा।

लेख में संघ के सदस्य रतन शारदा ने चुनाव नतीजों का ठीकरा भाजपा पर फोड़ा है। लेख में कहा गया है, '2024 के आम चुनाव के नतीजे अति आत्मविश्वासी भाजपा कार्यकर्ताओं और कई नेताओं के लिए रियलिटी चेक का मौक़ा है। उन्हें यह एहसास नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी का 400+ का आह्वान भाजपा के लिए एक लक्ष्य और विपक्ष के लिए चुनौती था। लक्ष्य मैदान में कड़ी मेहनत से हासिल किए जाते हैं, सोशल मीडिया पर पोस्टर और सेल्फी शेयर करने से नहीं। चूंकि वे अपनी धुन में खुश थे, मोदीजी के आभामंडल से झलकती चमक का आनंद ले रहे थे, इसलिए वे जमीन पर आवाज नहीं सुन रहे थे।'

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गठबंधन धर्म की मजबूरी?

बता दें कि मोहन भागवत का यह बयान तब आया है जब पीएम मोदी ने एनडीए सहयोगियों की मदद से सरकार बनाई है। बीजेपी को इस बार 240 सीटें ही मिली हैं जो बहुमत से कम है। प्रधानमंत्री भी अब एनडीए का खूब ज़िक्र कर रहे हैं और गठबंधन धर्म निभाने पर जोर दे रहे हैं। पीएम ने कहा कि हिंदुस्तान की राजनीतिक इतिहास में और हिंदुस्तान की राजनीति के गठबंधन के इतिहास में प्री-पोल अलायंस इतना सफल कभी भी नहीं हुआ है, जितना की एनडीए हुआ है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए के अलायंस को सच्चे अर्थ में भारत की आत्मा बताया। पीएम ने कहा कि एनडीए सत्ता प्राप्त करने का या सरकार चलाने का कुछ दलों का जमावड़ा नहीं है, बल्कि यह नेशन फ़र्स्ट के प्रति प्रतिबद्ध एक समूह है।

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