एक्टिविस्ट डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या में दो दोषियों को आजीवन कारावास की सजा हुई है। हत्याकांड के 10 साल बाद यह सजा सुनाई गई। पुणे की एक विशेष यूएपीए अदालत ने दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के साथ ही तीन अन्य को बरी कर दिया।
नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में 2 को आजीवन कारावास, 3 बरी
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- 10 May, 2024
एक्टिविस्ट और तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड के मामले में दस साल बाद अब दोषियों को सजा सुनाई गई है। जानिए, अदालत ने अपने फ़ैसले में क्या कहा।

डॉ. दाभोलकर एक्टिविस्ट, तर्कवादी और अंधविश्वास विरोधी योद्धा के रूप में पहचाने जाते थे। वह महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति यानी एमएएनएस के संस्थापक थे। उनकी 20 अगस्त 2013 की सुबह पुणे में वीआर शिंदे पुल पर दो बाइक सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। पूरे देश को झकझोर देने वाली इस हत्या की शुरुआत में पुणे सिटी पुलिस ने जांच की और बाद में जून 2014 से केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई ने इसकी जांच अपने हाथ में ली। हत्या के दोषियों को सजा दिलाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी गई। इसके लिए बार-बार अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ा। कई बार अदालत ने जाँच एजेंसियों को इसके लिए कड़ी फटकार तक लगाई।