क्या स्टैंड अप कॉमेडी विधा भारत में ख़तरे में है? क्या एक ख़ास किस्म का दक्षिणपंथ सृजन की आज़ादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश इसलिए लगाना चाहता है कि वह इसके ज़रिए एक नैरेटिव खड़ा करना चाहता है, जिसमें एक ख़ास समुदाय को खलनायक बना कर उसे निशाने पर लिया जा सके?