दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक बार फिर कड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने कहा है कि उसने जो निर्देश दिए हैं, उन पर कोई अमल नहीं किया गया है। अदालत ने दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सरकार से कहा कि वह उसके द्वारा दिए गए निर्देशों पर उन्होंने कितना अमल किया है, इस बारे में अपना जवाब अदालत के सामने रखें। अदालत 2 दिसंबर को फिर से इस मामले में सुनवाई करेगी।
सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि अदालत ने प्रदूषण कम करने के लिए निर्देश दिए थे लेकिन उन पर ज़ीरो अमल हुआ है। उन्होंने कहा कि अमल करना ही अहम मुद्दा है और अगर यह नहीं हो रहा है तो हम एक स्वतंत्र टास्क फ़ोर्स का निर्देश दे सकते हैं।
बेंच में शामिल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत ने राज्य सरकारों से कहा कि वे उन निर्देशों को लागू करें जिन्हें अभी तक लागू नहीं किया गया है।
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार के अफ़सर आदेशों का पालन कराने के लिए काम कर रहे हैं।
इस दौरान सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने सेंट्रल विस्टा जैसे प्रोजेक्ट्स की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि बड़े प्रोजेक्ट्स की वजह से ज़्यादा प्रदूषण होता है। उन्होंने कहा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की वजह से बहुत ज़्यादा धूल उड़ रही है। इस पर अदालत ने केंद्र सरकार से जवाब देने के लिए कहा।
पिछली सुनवाई में अदालत ने पराली जलाने के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए कहा था, “अफ़सर क्या कर रहे हैं। अफ़सर क्यों नहीं खेतों में जाकर किसानों, वैज्ञानिकों से बात करते और इस समस्या का स्थायी हल खोजते।”
अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा था कि वे वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के द्वारा जिन क़दमों को उठाने की बात कही गई है, उन पर अमल करें।
शीर्ष अदालत ने इस मामले में बेहद सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि ऐसे लोग जो पांच-सात सितारा होटल्स में सोते हैं, वे प्रदूषण के लिए किसानों को दोषी ठहरा रहे हैं।
सीजेआई रमना ने अफ़सरों की खिंचाई करते हुए कहा था, “टीवी पर होने वाली डिबेट्स किसी और से ज़्यादा प्रदूषण फैलाती हैं। सब का अपना एजेंडा है।”
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