गृह मंत्रालय ने देश के अग्रणी थिंक-टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च यानी सीपीआर का विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम यानी एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया है। यह कार्रवाई कथित तौर पर विदेशी फंडिंग क़ानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए की गई है। विदेशों से चंदा हासिल करने के लिए एफसीआरए लाइसेंस का होना ज़रूरी होता है।
सीपीआर का एफ़सीआरए लाइसेंस एक साल पहले निलंबित कर दिया गया था। सीपीआर का एफसीआरए लाइसेंस पिछले साल फरवरी में पहले 180 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था और फिर निलंबन को 180 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया था। अब एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि रद्द करने का निर्णय पिछले सप्ताह लिया गया था और संगठन को बता दिया गया है।
सीपीआर देश में 1973 से एक अग्रणी नीति थिंक-टैंक है। यह भारत की 21वीं सदी की चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए नीति से जुड़े मुद्दों पर गहन शोध करता है।
सीपीआर वेबसाइट के मुताबिक इसे भारत सरकार द्वारा गैर-लाभकारी सोसायटी के रूप में मान्यता प्राप्त है और इसको दिया जाने वाला चंदा कर मुक्त है। सीपीआर को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी आईसीएसएसआर से अनुदान प्राप्त होता है, और यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान है। इसके अलावा सीपीआर विभिन्न घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से भी अनुदान प्राप्त करता है। इसमें फाउंडेशन, कॉर्पोरेट दानदाता, सरकारें और बहुपक्षीय एजेंसियाँ शामिल हैं।
ऑक्सफैम इंडिया की विदेशी फंडिंग भी भारत में रुकी हुई है क्योंकि गृहमंत्रालय ने दिसंबर 2021 में इसके एफसीआरए लाइसेंस को नवीनीकृत करने से इनकार कर दिया था। सीबीआई भी ऑक्सफैम इंडिया की जांच कर रहा है।
पिछले साल फोर्ड फाउंडेशन, ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग, और विकास अध्ययन संस्थान, यूके को इसकी वेबसाइट पर दाताओं के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। आई-टी सर्वे के बाद सीपीआर अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी यामिनी अय्यर ने एक बयान में कहा था, 'हम खुद को अनुपालन के उच्चतम मानकों पर रखते हैं और आश्वस्त हैं कि हमने कुछ भी गलत नहीं किया है। हम अधिकारियों के किसी भी प्रश्न का समाधान करने के लिए उनके साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'
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