भारत में समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने केंद्र के इस दावे का जोरदार विरोध किया कि समलैंगिक विवाह के मामले में क़ानून बनाने का अधिकार संसद के पास है। उन्होंने कहा कि यह मूल अधिकार से जुड़ा मामला है और यह संविधान का मामला बनता है। उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट को संविधान की व्याख्या का अधिकार दिया गया है और इसलिए वह यह तय कर सकता है कि मूल अधिकार से संसद छेड़छाड़ नहीं करे।