सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि समलैंगिक विवाह पर संसद क़ानून बना सकती है। लेकिन इसके साथ ही अदालत ने कुछ शर्तें भी तय करने की बात कही है। शीर्ष अदालत ने गुरुवार को कहा कि सरकार को समलैंगिक जोड़ों को संयुक्त बैंक खाते खोलने या बीमा पॉलिसियों में भागीदार नामित करने जैसे बुनियादी सामाजिक अधिकार देने का एक तरीका खोजना चाहिए, क्योंकि ऐसा लगता है कि समलैंगिक विवाह को वैध बनाना संसद का विशेषाधिकार है।
समलैंगिक शादी- संसद क़ानून बनाए, पर उन्हें सामाजिक लाभ कैसे मिलेंगे: सुप्रीम कोर्ट
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- 27 Apr, 2023
समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर क्या सुप्रीम कोर्ट संसद को क़ानून बनाने की छूट देने के पक्ष में है? यदि ऐसा होता है तो सुप्रीम कोर्ट का रुख क्या रहेगा? जानिए, अदालत ने आज क्या संकेत दिया।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समलैंगिक विवाहों को क़ानूनी मान्यता देना विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है, लेकिन समलैंगिक विवाह मामले की सुनवाई में न्यायालय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि समलैंगिक जोड़ों को सामाजिक और अन्य लाभ देने के लिए उपाय किए जाएँ और विवाह का ठप्पा लगे बिना भी उन्हें कानूनी अधिकार मिलें।