सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि समलैंगिक विवाह पर संसद क़ानून बना सकती है। लेकिन इसके साथ ही अदालत ने कुछ शर्तें भी तय करने की बात कही है। शीर्ष अदालत ने गुरुवार को कहा कि सरकार को समलैंगिक जोड़ों को संयुक्त बैंक खाते खोलने या बीमा पॉलिसियों में भागीदार नामित करने जैसे बुनियादी सामाजिक अधिकार देने का एक तरीका खोजना चाहिए, क्योंकि ऐसा लगता है कि समलैंगिक विवाह को वैध बनाना संसद का विशेषाधिकार है।