कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि विवाह मात्र से किसी को उसके वहशीपन का लाइसेंस नहीं मिल जाती है। अदालत ने मैरिटल रेप (पत्नी की इच्छा के विरुद्ध उससे संबंध बनाना) के मामले में यह टिप्पणी की।
अदालत ने कहा कि अगर यह एक आदमी के लिए दंडनीय है तो दंडनीय ही होना चाहिए भले ही वह आदमी एक पति ही क्यों न हो। यह दलील दिया जाना कि पति विवाह नामक संस्था से संरक्षण पा जाता है, लेकिन इस आधार पर किसी पति को वहशीपन का अधिकार नहीं मिल जाता। पति अगर इस तरह यौन हमला करेगा तो इसके नतीजे गंभीर होंगे। इससे महिला पर शारीरिक के अलावा मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ता है। पति अपने वहशीपन से पत्नी को डरा देते हैं। यह यौन हमला ही रेप है।
शादी का मतलब मैरिटल रेप का लाइसेंस नहींः हाईकोर्ट
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- 29 Mar, 2025
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मैरिटल रेप को लेकर गंभीर टिप्पणी की है। उसका कहना है कि शादी का मतलब ये नहीं है कि किसी को अपनी पत्नी के प्रति यौन हमले का अधिकार मिल जाता है।
