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ईडी के कई खास मामले कोर्ट में धड़ाम, पीएमएलए केसों में बदली रणनीति

अदालत में कुछ हाई-प्रोफाइल मनी लॉन्ड्रिंग केसों (पीएमएलए) के गिरने के साथ, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सिर्फ "आपराधिक साजिश" के दम पर केस नहीं चलाने या किसी केस को शुरू नहीं करने का फैसला किया है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएमएलए केसों में मात्र किसी केस में साजिश के आधार ईडी मामले आगे नहीं बढ़ाएगी। 

इडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि ईडी डायरेक्टर राहुल नवीन ने एजेंसी के अधिकारियों को नए निर्देश दिए हैं। पीएमएलए अनुसूची में करीब 150 मामले शामिल हैं, जिनमें भ्रष्टाचार से लेकर टैक्स चोरी और यहां तक ​​कि वन्य जीवन अधिनियम का उल्लंघन भी शामिल है। लेकिन इन केसों को ईडी नई रणनीति के तहत देखेगी।

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सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में दो मामले खारिज कर दिये गये और ईडी ने काफी बेइज्जती महसूस की थी। पहला मामला कांग्रेस नेता और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के खिलाफ था। दूसरा मामला एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी के खिलाफ था, जिन्होंने कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मातहत काम किया था।

ईडी ने कुछ ज्यादा तूफानी करने के चक्कर में ऐसे मामलों में हाथ डालना शुरू किया, जिन्हें ईडी की शब्दावली में "सांकेतिक अपराध" (predicate offence) कहा जाता है। "सांकेतिक अपराध" का मतलब किसी अन्य एजेंसी द्वारा दर्ज शुरुआती एफआईआर में मात्र आपराधिक गतिविधि के आधार पर ही ईडी अपने यहां भी केस दर्ज कर लेती है और उसके बाद कार्रवाई शुरू करती है। चार्जशीट तैयार करके कोर्ट में जाती है। सीबीआई, राज्यों की पुलिस या कुछ मामलों में इनकम टैक्स विभाग पीएमएल केस की एफआईआर दर्ज करती है और मामला आगे नहीं बढ़ता है। ईडी ने कुछ ज्यादा ही तेजी दिखाते हुए उन केसों की एफआईआर अपने यहां भी दर्ज किया और कार्रवाई शुरू कर दी। मसलन झारखंड में जमीन हड़पने के आरोप की एक सामान्य एफआईआर पुलिस में दर्ज की गई। मामला ठंडा पड़ा रहा। ईडी ने उस पर अपने यहां एफआईआर दर्ज की। जांच की और सतही आरोपों के आधार पर हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी कर ली। अदालत में मामला गया तो उसने ईडी की धज्जियां उड़ा दीं थीं।
ईडी के एक सीनियर अफसर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि “मामलों पर कड़ी मेहनत करने के बाद अदालत में नाकामी का सामना करने का कोई मतलब नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आईपीसी की धारा 120बी को पीएमएलए के तहत एक स्टैंडअलोन सांकेतिक अपराध के रूप में नहीं माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट जो कहता है वही कानून है। इसलिए, इस आशय के निर्देश जारी कर दिए गए हैं, कि सिर्फ कहीं एफआईआर के आधार पर ईडी उस मामले में न कूदे।”
पिछले कुछ वर्षों में, ईडी ने कुछ हाई-प्रोफाइल मामलों को आगे बढ़ाया है, जहां 120बी को छोड़कर कोई भी अपराध नहीं था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट सहित कई अदालतों ने बाद में फैसला सुनाया कि धारा 120बी को एकमात्र "घातक अपराध" के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता है, जिसमें "आपराधिक साजिश" से संबंधित अपराध भी होना चाहिए जो पीएमएलए के दायरे में आता है।

नवंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ धारा 120बी के आधार पर दर्ज किये गये पीएमएलए केस के खिलाफ फैसला सुनाया। 2020 के एक भूमि सौदे को लेकर कर्नाटक में एक निजी विश्वविद्यालय के कार्यवाहक प्रमुख पावना डिब्बर के खिलाफ ईडी के एक मामले पर फैसला आया। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- “आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दंडनीय अपराध एक अनुसूचित अपराध बन जाएगा। केवल तभी जब कथित साजिश एक अपराध करने की हो जो विशेष रूप से अनुसूची में शामिल है।”

जस्टिस अभय ओका और जस्टिस पंकज मिथल के फैसले में कहा गया था, “...अगर विद्वान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की दलीलें स्वीकार कर ली जाएं, तो (पीएमएलए) अनुसूची निरर्थक या अनावश्यक हो जाएगी। इसका कारण यह है कि भले ही दर्ज किया गया अपराध एक अनुसूचित (शेड्यूल) अपराध नहीं है, पीएमएलए के प्रावधान और, विशेष रूप से, धारा 3 को सिर्फ धारा 120बी लागू करके लागू किया जा सकता है।

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वरिष्ठ कांग्रेस नेता और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मार्च में डी के शिवकुमार के खिलाफ ईडी के मामले को खारिज करते हुए इस फैसले का उल्लेख किया था, जिन पर कथित टैक्स चोरी के लिए मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में 2018 में मामला दर्ज किया गया था और 2019 में गिरफ्तार किया गया था। सुप्रीम अदालत ने फैसला सुनाया कि "इस सवाल पर कि क्या 120 बी आईपीसी ईडी को पीएमएलए लागू करने में सक्षम है और एक विशिष्ट स्टैंडअलोन अपराध पर कार्रवाई हो सकती है, जिसे पहले ही तय किया जा चुका है...।"

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इसी तरह, एक कथित शराब घोटाले से संबंधित ईडी का मामला, जिसमें छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल भी जांच के दायरे में आए थे, को सुप्रीम कोर्ट ने इसी कारण से रद्द कर दिया था। इस मामले में ईडी ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश को मुख्य आरोपी के रूप में सूचीबद्ध किया था। दरअसल, दिल्ली शराब घोटाले में अरविन्द केजरीवाल से लेकर मनीष सिसोदिया पर ईडी ने मामले दर्ज कर कुछ ज्यादा ही तेजी दिखाई थी और ठीक दिल्ली की तर्ज पर भूपेश बघेल के खिलाफ भी मामला बनाया गया था।

ईडी ने छत्तीसगढ़ पुलिस की एक अन्य एफआईआर के आधार पर नया मामला दर्ज किया, जहां भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधान लागू किए गए और टुटेजा को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।

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ऐसा एक और मामला, अदालत में लंबित है, जिसमें 2019 में सीबीआई की एफआईआर के आधार पर एमनेस्टी इंटरनेशनल पर कथित मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया है। सीबीआई ने आपराधिक साजिश के अलावा विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के उल्लंघन के लिए एमनेस्टी पर मामला दर्ज किया था। चूंकि एफसीआरए पीएमएलए के दायरे में नहीं आता है, इसलिए ईडी ने अपनी जांच और अभियोजन शिकायत के आधार के रूप में "आपराधिक साजिश" को सूचीबद्ध किया था। बहरहाल, इसी साल आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) ने ले ली है।

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