ललन सिंह ने कहा कि विवादास्पद मुद्दों पर उनकी पार्टी एनडीए के साथ नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार किसी क़ानून को बनाकर पति-पत्नी के रिश्ते को तय नहीं कर सकती। कोई नहीं चाहता कि पति-पत्नी के बीच में संबंध विच्छेद हो जाए लेकिन अगर आप इसे क़ानून से रोकने की कोशिश करते हैं तो इससे एक विशेष समुदाय के लोगों के मन में अविश्वास पैदा होता है।
राजीव रंजन सिंह ने कहा कि सरकार को क़ानून बनाने के बजाए उस समुदाय के लिए जन-जागृति पैदा करने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट में मुक़दमा चल रहा था तब मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी आश्वस्त किया था कि हम अपने समुदाय के लिए जन-जागृति के लिए काम करेंगे।
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समाज सिर्फ़ संविधान से नहीं चलता है, यह समाज रीति-रिवाजों से भी चलता है और परंपरा से चलता है और उस समुदाय में एक परंपरा है और उस पंरपरा को ख़त्म करने के लिए आपको कोई एतिहासिक क़दम उठाना पड़ेगा।
राजीव रंजन सिंह, लोकसभा सदस्य, जदयू
चर्चा के दौरान बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की सरकार में यूपी में शरिया अदालतें चलती रहीं और ऐसे मामलों को बढ़ावा मिला। बता दें कि इस विधेयक में एक साथ तीन तलाक़ दिए जाने को अपराध करार दिया गया है और दोषी पाए जाने पर जेल भेजने का भी प्रावधान किया गया है। विधेयक में इसी बात को लेकर विवाद है। लेकिन इसके बावजूद सरकार विधेयक को मौजूदा स्वरूप में ही पास कराने पर अड़ी है। इसे लेकर सरकार की नीयत पर सवाल उठते रहे हैं।
औरतों पर ज़ुल्म?
तीन तलाक़ बिल का विरोध करते हुए एआईएमआईएम के सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने सरकार से कहा कि आप औरतों पर जुल्म कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह क़ानून मुसलिम महिलाओं के ख़िलाफ़ है और सबूत देने की ज़िम्मेदारी भी महिलाओं पर डाली जा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर शौहर को जेल में डाल देंगे तो वह मुआवजा कैसे दे पाएगा। एआईएमआईएम सांसद ने कहा कि इस्लाम में शादी जन्म-जन्म का साथ नहीं है, यह एक कॉन्ट्रैक्ट है, जिदंगी की हद तक है और हम उसमें खुश हैं।आज़म की टिप्पणी पर हंगामा
जब समाजवादी पार्टी के सांसद आज़म ख़ान तीन तलाक बिल पर अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए तो उनकी एक टिप्पणी को लेकर ख़ासा हंगामा हो गया। आज़म ने सदन की अध्यक्षता कर रहीं रमा देवी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी, जिसका कई सदस्यों ने विरोध किया। क़ानून मंंत्री रविशंकर प्रसाद समेत तमाम नेताओं ने आज़म ख़ान से माफ़ी माँगने को कहा। हालाँकि बाद में आज़म ने रमा देवी से कहा, आप काफ़ी सम्मानित हैं और मेरी बहन जैसी हैं।तीन तलाक़ विधेयक को लेकर बीजेपी काफ़ी गंभीर है और उसने इस मुद्दे को अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल किया था। ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी रैलियो में मुसलिम महिलाओं को एक साथ तीन तलाक़ से आज़ादी दिलाने का वादा कर चुके हैं।
बता दें कि दुनिया के कई देशों में एक साथ तीन तलाक़ पर पूरी तरह प्रतिबंध है। यहाँ तक कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका ने भी इस पर रोक लगा दी है। भारत में मुसलिम समुदाय को सबसे ज़्यादा इस बात पर आपत्ति है कि एक साथ तीन तलाक़ पर संबंधित व्यक्ति को सजा का प्रावधान क्यों किया गया है।
ग़ौरतलब है कि जिन मुसलिम देशों ने एक साथ तीन तलाक़ पर पाबंदी लगाई हुई है, वहाँ भी तलाक़ देने वाले शौहर को जेल भेजने का प्रावधान नहीं है। इसके अलावा देश में मुसलिम समुदाय के अलावा बाक़ी समुदायों में भी तलाक़ का प्रावधान तो है लेकिन किसी भी समुदाय में तलाक़ देने वाले व्यक्ति को जेल भेजने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि सरकार एक बार में तीन तलाक़ देने वाले को जेल भेजने का प्रावधान क्यों करना चाहती है?
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