भारत के कई पूर्व सूचना आयुक्तों ने केंद्र सरकार के द्वारा सूचना का अधिकार क़ानून में किये गये संशोधनों को ग़लत बताया है। इनमें देश के पहले सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला भी शामिल हैं।
पूर्व सूचना आयुक्त: आरटीआई क़ानून में संशोधन ग़लत
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- 25 Jul, 2019
आरटीआई कार्यकर्ता और विपक्षी पार्टियाँ भी आरटीआई क़ानून में संशोधन के विरोध में हैं। उन्हें डर है कि इस संशोधन से सूचना आयोग और सूचना आयुक्तों की स्वतंत्रता प्रभावित होगी।

इसके अलावा शैलेश गाँधी, यशोवर्धन आज़ाद, दीपक संधू, एमएम अंसारी, एम. श्रीधर आचार्युलु और अन्नपूर्णा दीक्षित ने भी क़ानून में किए गए संशोधनों का विरोध किया है। आरटीआई कार्यकर्ता और विपक्षी पार्टियाँ भी आरटीआई क़ानून में संशोधन के विरोध में हैं।
इस बदलाव के तहत केंद्र सरकार को यह ताक़त दी गई है कि वह केंद्र और राज्य स्तर पर तैनात सूचना आयुक्तों का कार्यकाल और तनख़्वाह तय करे। सभी पूर्व सूचना आयुक्तों ने इस संशोधन को उनकी स्वायत्ता और लोगों को जानकारी मिलने के मूलभूत अधिकार पर हमला बताया है। उन्होंने सरकार से इन संशोधनों को वापस लेने की अपील की है।