कोरोना से बचने के लिए लगाए गए लॉकडाउन का मनोवैज्ञानिक असर बच्चों और किशोरों पर पड़ा है, इससे तो किसी को इनकार नहीं है, पर विशेषज्ञ यह देख कर परेशान हैं कि यह असर आशंकाओं से बहुत अधिक है।
लॉकडाउन का असर : बच्चों में अवसाद, एकाकीपन, कुंठा
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- 1 Jun, 2021

कोरोना और इस महामारी से बचने के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने क्या मानव स्वभाव को भी प्रभावित किया है? क्या कोरोना की वजह से हमारे मनोविज्ञान, स्वभाव, व्यवहार व कामकाज के तौर तरीकों में कोई फ़र्क आया है? ये तमाम बातें उठती हैं, जिनका उत्तर लोग लगातार ढूंढ रहे हैं। मनोविज्ञान, स्वभाव, सामाजिक-आार्थिक स्थिति, सेक्स जीवन, सबकुछ प्रभावित हुआ है। सत्य हिन्दी इस पर एक श्रृंखला प्रकाशित कर रहा है। पेश है उसकी दूसरी कड़ी।
बच्चों-किशोरों पर लॉकडाउन का असर दूरगामी हो सकता है, जिससे उनकी मानसिकता बदल सकती है, उनके पूरे जीवन पर इसका असर दिख सकता है। सबसे बुरी बात तो यह है कि उनमें कई तरह के मनोविकार देखने को मिल रहे हैं। और तो और, अभिभावक, शिक्षक और माता-पिता इसे पूरी तरह समझ भी नहीं पा रहे हैं।
इस विषय पर शोध व अध्ययन सिर्फ अमेरिका और ब्रिटेन ही नही, भारत में भी हुआ है और इन सब अध्ययनों का कुल मिला कर लब्बोलुबाव यह है कि लॉकडाउन बच्चों के पूरे जीवन को प्रभावित करने जा रहा है।