भारतीय घरों में समान लिंग में शादी (Same Sex Marriage), होमोसेक्सुएलिटी पर बात करने को लेकर आज भी एक लक्ष्मण रेखा खिंची हुई है, जिस पर लोग बात नहीं करना चाहते हैं। लेकिन ऐसे ही पसोपेश के बीच आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने एलजीबीटी (Lesbian, Gay, Bisexual, Transgender) समुदाय से हमदर्दी जताते हुए कहा कि इन्हें भी समाज का हिस्सा माना जाना चाहिए। इन्हें भी स्पेस मिलना चाहिए। आरएसएस का एलजीबीटी पर इससे स्पष्ट स्टैंड कभी सामने नहीं आया था। भागवत का बयान ऐसे समय आया है जब भारत सरकार समान लिंग के विवाह को अनुमति देने को तैयार नहीं है और सुप्रीम कोर्ट ने 20 दिनों में भारत सरकार से इस पर जवाब मांगा है। आरएसएस प्रमुख के बयान के बाद भारत सरकार के रुख में बदलाव आ सकता है। इस रिपोर्ट में हम आरएसएस प्रमुख के एलजीबीटी बयान और भारतीय अदालतों में इस पर क्या चल रहा है, इस पर बात करेंगे।
एलजीबीटी पर RSS के रुख में बदलाव क्यों, 2016 के बाद खुलकर सामने आया संघ
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- 29 Mar, 2025

आरएसएस प्रमुख ने समलैंगिकता और एलजीबीटी समुदाय पर खुलकर विचार व्यक्त किए हैं। 2016 से चल रहा यह सिलसिला पहली बार सामने आया है। आखिर इसकी वजह क्या है, क्या संघ प्रमुख के बयान के बाद केंद्र की मोदी सरकार समलैंगिक विवाह के रजिस्ट्रेशन को मंजूरी देगी, क्या समलैंगिक विवाहों के जोड़ों को एक परिवार की तरह मानकर सरकारी स्कीमों के जरिए मदद की जाएगी। इन सारे सवालों का विश्लेषण इस रिपोर्ट मेंः