केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों की संसद जारी है। इस संसद का आयोजन संसद से कुछ ही दूरी पर स्थित जंतर-मंतर पर किया जा रहा है। किसानों की यह संसद 13 अगस्त तक चलेगी।
किसान संसद के दौरान इसमें शामिल सदस्यों ने अपने सवाल स्पीकर बनाए गए शख़्स से पूछे हैं और संसद में शामिल लोग ही सवालों के जवाब दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि लोकसभा और राज्यसभा की तर्ज पर ही इस किसान संसद को चलाया जा रहा है। किसानों को विपक्षी राजनीतिक दलों की ओर से भी जोरदार समर्थन मिल रहा है।
किसानों को हर दिन 200 की संख्या में बसों के जरिये जंतर-मंतर लाया जाएगा और यहां पर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वे हर दिन अपनी संसद का आयोजन करेंगे। किसान नेताओं ने दिल्ली पुलिस को भरोसा दिलाया है कि उनका प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण और अनुशासित होगा।
इस मौक़े पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि चाहे किसी भी पार्टी का सांसद हो, अगर उसने किसानों की आवाज़ नहीं उठाई तो उसका विरोध किया जाएगा।
किसान हर दिन सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक जंतर-मंतर पर मौजूद रहेंगे। उन्हें मार्च निकालने की इजाजत नहीं दी गई है। इस साल 26 जनवरी को हुई हिंसा के कारण दिल्ली पुलिस किसानों के इस आयोजन को लेकर खासी सतर्कता बरत रही है। दिल्ली पुलिस ने किसानों के इस आयोजन को लेकर सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त किया है और पूरे महकमे को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
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गर्म है सियासी माहौल
किसान आंदोलन को लेकर देश में पिछले 8 महीने से सियासी माहौल बेहद गर्म है। तमाम विपक्षी दल किसानों की आवाज़ को संसद में उठा रहे हैं। सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत भी हुई थी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला था। किसानों का कहना है कि तीनों कृषि क़ानून रद्द होने और एमएसपी को लेकर गारंटी एक्ट बनने तक वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
मुज़फ्फरनगर में होगी पंचायत
बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनाव में हुंकार भरने जा रहा है। इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है और 7 महीने बाद इन राज्यों में चुनाव होने हैं। किसानों की इस हुंकार की शुरुआत 5 सितंबर को मुज़फ्फरनगर से होगी, जहां इस दिन राष्ट्रीय महापंचायत रखी गई है।संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में फ़ैसला लिया गया है कि 5 सितंबर की राष्ट्रीय महापंचायत से पहले अगस्त के महीने में उत्तर प्रदेश के हर जिले में बैठक की जाएंगी।
महापंचायत के बाद उत्तर प्रदेश के 17 और उत्तराखंड के 2 मंडलों में अक्टूबर व नवंबर में बैठकें होंगी। इसे ‘मिशन यूपी-उत्तराखंड’ नाम दिया गया है। मोर्चा ने कहा है कि मोर्चा के नेता इस दौरान लोगों के बीच में पहुंचेंगे।
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सभी राज्यों से आएंगे किसान
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने दोहराया है कि अगले कुछ महीनों में किसान ‘मिशन यूपी-उत्तराखंड’ में पूरी ताक़त के साथ जुटेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में इस आंदोलन को मज़बूत करना है। किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा है कि किसानों की यह लड़ाई नवंबर, 2021 में बुलंदियों पर होगी और मुज़फ्फरनगर की महापंचायत में देश के सभी राज्यों के किसान संगठन भाग लेंगे।
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