जब-जब दिल्ली में मोदी की हुक़ूमत तक विरोध की आवाज़ पहुंचती है तो बीजेपी समर्थक, मीडिया का एक वर्ग और दक्षिणपंथी विचारधारा के समर्थन वाले लोग छाती अड़ाकर आगे खड़े हो जाते हैं। ये ऐसे लोग हैं जो हर उस शख़्स को हिंदुस्तान का विरोधी बताते हैं, जो दिल्ली में बैठी मोदी की हुक़ूमत के किसी फ़ैसले से नाइत्तेफ़ाकी रखता है या नाख़ुशी का इजहार करता है।
किसानों को खालिस्तानी बताने पर क्यों तुले हैं बीजेपी नेता?
- देश
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- 3 Dec, 2020
जब-जब दिल्ली में मोदी की हुक़ूमत तक विरोध की आवाज़ पहुंचती है तो बीजेपी समर्थक, मीडिया का एक वर्ग और दक्षिणपंथी विचारधारा के समर्थन वाले लोग छाती अड़ाकर आगे खड़े हो जाते हैं।

मोदी सरकार के फ़ैसलों से नाख़ुश ऐसे लोगों में मुसलमान पुरूष हों तो उन्हें देशद्रोही, पाकिस्तानी, वतन का गद्दार बताया जाता है। अगर मुसलिम महिलाएं हों तो उनके चरित्र पर टिप्पणियां की जाती हैं, उनसे कहा जाता है कि वे बिकी हुई औरतें हैं जो 500 रुपये लेकर शाहीन बाग़ में बैठती थीं। विरोध में बोलने वालीं महिला पत्रकारों का चरित्र हनन किया जाता है। छात्रों को जिहादी, पाकिस्तानी, आईएसआई का एजेंट बताया जाता है।