प्रधानमंत्री ने कोरोना वैक्सीन की तैयारी देखने के लिए दो दिन पहले जिस सीरम इंस्टिट्यूट का दौरा किया था वही सीरम इंस्टिट्यूट अब वैक्सीन के ट्रायल में हिस्सा लेने वाले वॉलिंटियर के ख़िलाफ़ 100 करोड़ रुपये की मानहानि का दावा करेगा। वॉलिंटियर ने दावा किया है कि ट्रायल में वैक्सीन के इंजेक्शन के बाद उसे गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी हो गई और इसलिए उसने 5 करोड़ रुपये के मुआवजे की माँग की है। इसके बाद सीरम इंस्टीट्यूट की प्रतिक्रिया आई है।
सीरम इंस्टिट्यूट ने कहा कि यह नुक़सान में कम से कम 100 करोड़ रुपये की मांग करेगा और ऐसे सभी दावों से ख़ुद का बचाव करना जारी रखेगा।
कंपनी की ओर से यह प्रतिक्रिया चेन्नई के एक वॉलिंटियर द्वारा हर्जाने की माँग करने के मामले में आई है। ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रेज़ेनेका की वैक्सीन के लिए क़रार करने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया है। कंपनी ने भारत में वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल आयोजित किया। इस ट्रायल में चेन्नई के 40 वर्षीय व्यक्ति भी शामिल हुए थे और उन्हें 1 अक्टूबर को चेन्नई के श्री रामचंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ़ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च में वैक्सीन लगाई गई थी।
उस 40 वर्षीय वॉलिंटियर ने 21 नवंबर को क़ानूनी नोटिस दिया। इसके अनुसार, दस दिन बाद उन्हें 'गंभीर सिरदर्द', 'व्यवहार में आमूल परिवर्तन' और 'रोशनी और आवाज़ से दिक्कतों' का अनुभव होने लगा। नोटिस में दावा किया गया है कि इसके बाद वह न तो किसी को पहचान सकते थे और न ही किसी से बोल सकते थे।
Chennai based volunteer for ‘ #covishield ’, the candidate vaccine being tested by Serum Institute of India, has sued the company for ₹5 crore, alleging that the vaccine triggered an adverse reaction, which led to neurological impairment among other issues@SerumInstIndia pic.twitter.com/7gfrhJdHxQ
— Bar & Bench (@barandbench) November 29, 2020
नोटिस के अनुसार उन्हें बताया गया कि वह 'एक्यूट एन्सेफ़ैलोपैथी' से पीड़ित हैं। 26 अक्टूबर को उनको अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। नोटिस में दावा किया गया है कि 'टेस्ट वैक्सीन का ही वह दुष्प्रभाव था...'। नोटिस में यह भी कहा गया है कि वॉलिंटियर को मुहैया कराई गई पार्टिसिपेंट इंफ़ोर्मेशन शीट के अुनसार, 'इंग्लैंड में 18 से 55 साल के 500 स्वस्थ वयस्क लोगों पर इसका ट्रायल किया गया और यह सुरक्षित है।' नोटिस में कहा गया है कि इसी आधार पर वॉलिंटियर ने विश्वास कर ट्रायल में हिस्सा लिया।
अब रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि इस मामले की जाँच की जाएगी। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीसीजीआई और श्री रामचंद्र इंस्टिट्यूट की इथिक्स कमेटी वॉलिंटियर के आरोपों की जाँच करेगी।
इधर, जिस वॉलिंटियर ने सीरम इंस्टिट्यूट की वैक्सीन के लिए काम किया उसी के ख़िलाफ़ वह यह कहकर कार्रवाई करने जा रहा है कि उसने दुर्भावनापूर्ण और ग़लत आरोप लगाए।
कंपनी की ओर से 'एनडीटीवी' को दिए गए बयान में दावा किया गया, 'यह दावा दुर्भावनापूर्ण है क्योंकि वॉलिंटियर को विशेष रूप से चिकित्सा टीम द्वारा सूचित किया गया था कि उन्हें जो जटिलताएँ हुईं उसका ट्रायल से कोई संबंध नहीं था। विशेष रूप से इसके बारे में जानने के बावजूद उन्होंने सार्वजनिक तौर पर बताने और कंपनी की प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुँचाने की राह चुनी।'
हालाँकि इसके साथ ही कंपनी ने यह भी कहा है कि सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया वॉलिंटियर के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सहानुभूति रखता है, लेकिन वह ग़लत रूप से अपनी स्वास्थ्य दिक्कतों के लिए कोरोना वैक्सीन ट्रायल पर आरोप लगा रहे हैं।
वैसे, कंपनी द्वारा सहानुभूति जताए जाने के साथ ही 100 करोड़ का दावा करने की बात कहना अजीबोग़रीब है। अजीबोग़रीब इसलिए कि जब किसी से सहानुभूति है तो फिर इतनी भारी-भरकम मानहानि का दावा क्यों?
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