प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक से रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेलंगाना के सीएम केसीआर यानी के चंद्रशेखर राव अनुपस्थित रहे। नीति आयोग सरकार का थिंक टैंक है यानी यह सरकार की नीतियों का निर्धारण करने में अहम भूमिका निभाता है। इसके गवर्निंग काउंसिल में प्रधानमंत्री के अलावा राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री, लेफ्टिनेंट गवर्नर, नीति आयोग के पदाधिकारी व सदस्य शामिल होते हैं।
लेकिन रविवार को जब नीति आयोग की सातवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक शुरू हुई तो उसमें दो प्रमुख राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल नहीं हुए। इसमें से एक राज्य के मुख्यमंत्री के उनके गठबंधन सहयोगी से रिश्ते सही नहीं बताए जाते हैं तो दूसरे राज्य के सीएम सीधे प्रधानमंत्री मोदी सरकार को निशाने पर लेते रहे हैं।
नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने वालों में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल हैं।
केसीआर ने पहले प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि उनका फ़ैसला तेलंगाना जैसे राज्यों के ख़िलाफ़ केंद्र के कथित भेदभाव के खिलाफ विरोध का प्रतीक है। वैसे, केसीआर प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी बीजेपी पर हमलावर रहे हैं। केसीआर ने पिछले महीने ही कहा था कि भारत में 'अघोषित आपातकाल' है। इसलिए मोदी सरकार को जाना चाहिए और एक गैर-बीजेपी सरकार आनी चाहिए।
उन्होंने कहा था, 'इंदिरा गांधी को धन्यवाद, उन्होंने आपातकाल लगाया और उसकी घोषणा की। वो काफी साहसी थीं। वह एक प्रत्यक्ष, घोषित आपातकाल था। लेकिन आज भारत में एक अघोषित आपातकाल है।'
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तब उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, 'मोदी जी, रुपया अब ₹80 को छूने वाला है। आप हमें जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं? हम वही सवाल पूछ रहे हैं जो आप यूपीए से बतौर गुजरात मुख्यमंत्री पूछा करते थे। तब तो रुपया इतना गिरा भी नहीं था।' प्रेस कांफ्रेंस के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का एक पुराना वीडियो क्लिप चलाया गया जहां वह गिरते रुपये के बारे में भाषण दे रहे हैं, और रुपये को गिरने के लिए तत्कालीन यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और जवाब मांग रहे हैं। एक अन्य क्लिप में, विभिन्न नेताओं को बीजेपी में शामिल होते दिखाया गया। बीजेपी को "वाशिंग पाउडर निरमा" करार देते हुए केसीआर ने आरोप लगाया कि नेताओं के बीजेपी में शामिल होने के बाद उन पर छापे मारने की कार्रवाई रुक गई। लेकिन जब तक वो नेता बीजेपी में नहीं आए थे, उन पर जांच एजेंसियों के छापे पड़ रहे थे।
नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने वाले दूसरे नेता बिहार के मुख्यमंत्री अभी-अभी कोरोना से उबरे हैं। वह एक महीने में दूसरी बार पीएम के नेतृत्व में किसी कार्यक्रम में भाग नहीं ले रहे हैं।
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हालाँकि, सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि मुख्यमंत्री सोमवार को अपना जनता दरबार आयोजित करने के लिए तैयार हैं। उस दिन वो उस कार्यक्रम को फिर से शुरू कर सकते हैं जो पिछले कुछ हफ्तों से उनके स्वास्थ्य और अन्य व्यस्तताओं के कारण रद्द कर दिया गया था।
वैसे, बिहार में नीतीश के जेडीयू के साथ बीजेपी गठबंधन में शामिल है। लेकिन दोनों दलों के बीच मौजूदा सरकार बनने के बाद से ही समय-समय पर तनाव की ख़बरें आती रही हैं।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नीतिश कई बार नीति आयोग की बैठकों में नहीं गए हैं, जो बिहार को राज्य विकास रैंकिंग में सबसे नीचे रखता रहा है। इससे पहले पिछले महीने मुख्यमंत्री तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के लिए पीएम मोदी द्वारा आयोजित रात्रिभोज और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के उद्घाटन समारोह से भी दूर रहे थे।
अब, दोनों दलों के बीच तकरार लगभग एक नियमित मामला बन गया है, जिसमें हाल ही में अग्निपथ योजना को लेकर आमना-सामना, जाति जनगणना पर बयानबाजी इसी कड़ी में शामिल हैं। इसके बाद नीतीश ने अपने ओएसडी को जेडीयू से निकाल बाहर किया। ओएसडी ने बीजेपी से नजदीकियां बढ़ा ली थीं।
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