कश्मीर का इतिहास जानने वाला कोई अदना-सा छात्र भी बता सकता है कि कश्मीर जैसे विवाद का समाधान इतिहास के तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने या देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को कोसने से नहीं हो सकता। इसके लिए समस्या की असल वजह को समझने, उसके बारे में सुसंगत नज़रिया बनाने और फिर ठोस क़दम उठाने की ज़रूरत है। क्या ऐसा हो रहा है?

सरकारी आंकड़ों की रोशनी में देखें तो ‘अति-राष्ट्रवादी सरकार’ का आतंकवाद से निपटने का दावा बिल्कुल आधारहीन और खोखला नज़र आता है। सच यह है कि आतंकवाद से निपटने और कश्मीर के हालात संभालने के मामले में यह अब तक की सबसे फिसड्डी सरकार साबित हो रही है।