जेएनयू यानी जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति एम जगदीश कुमार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यूजीसी अध्यक्ष का पद 7 दिसंबर, 2021 को खाली हो गया था, जब प्रोफेसर डीपी सिंह ने इस्तीफ़ा दे दिया था। सिंह ने 2018 में कार्यभार संभाला था और 65 वर्ष की उम्र में इस्तीफा दिया था।
जेएनयू के कुलपति के रूप में जगदीश कुमार का पांच साल का कार्यकाल 26 जनवरी को समाप्त हो गया था। इसके बाद उन्हें अपने उत्तराधिकारी के चुने जाने तक मंत्रालय द्वारा अपने पद पर बने रहने की अनुमति दी गई थी।
कुमार का जेएनयू में कार्यकाल विवादों से भरा रहा था। जेएनयू में 2016 के राजद्रोह विवाद से लेकर एमएससी के छात्र नजीब अहमद के लापता होने तक के मुद्दों पर कैंपस में लगातार अशांति की ख़बरें आती रहीं। फ़ीस वृद्धि के ख़िलाफ़ चल रहे आन्दोलन को लेकर भी जेएनयू में हिंसा की ख़बरें आई थीं। विश्वविद्यालय परिसर में घुस कर नकाबपोश गुन्डों ने कई घंटों तक तोड़फोड़ की थी, हिंसा की थी और बड़े पैमाने पर मारपीट की थी। इस हिंसा में कई छात्र घायल हुए थे।
जेएनयू में टैंक लगवाने की अपील के लिए भी वह विवादों में रहे थे। जेएनयू में 2017 में 23 जुलाई को पहली बार करगिल विजय दिवय मनाया गया था और इस मौक़े पर जेएनयू जगदीश कुमार ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और वीके सिंह से कहा था, 'मैं आपसे विनती करता हूँ कि जेएनयू में आर्मी टैंक रखवाने में मदद करें, जिसे कैंपस में सही जगह पर लगाया जा सके। ये टैंक छात्रों को भारतीय सेना के बलिदान की याद दिलाएगा।' इस बयान के लिए जगदीश कुमार की सोशल मीडिया पर ख़ूब आलोचना की गई थी।
2021 में आतंकवाद विरोधी पाठ्यक्रम को लेकर भी विवाद हुआ था।
इस पर हुई आलोचनाओं का जवाब देते हुए जगदीश कुमार ने कहा था, 'मेडिकल स्कूल की स्थापना हो या आतंकवाद विरोधी पाठ्यक्रम पेश किया जाना हो, जिन निर्णयों की आलोचना की जा रही है उन सभी पर अकादमिक परिषद और कार्यकारी परिषद द्वारा चर्चा की गई है। उनकी कोई भी आलोचना निराधार है।'
बता दें कि जददीश कुमार ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आईआईटी मद्रास से एमएस (ईई) और पीएचडी (ईई) की डिग्री प्राप्त की है। जुलाई 1994 और दिसंबर 1995 के बीच, वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर में इलेक्ट्रॉनिक्स और विद्युत संचार इंजीनियरिंग विभाग में एक विजिटिंग फैकल्टी और सहायक प्रोफेसर थे।
बाद में वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली में रहे जहाँ वह जुलाई 1997 में एक एसोसिएट प्रोफेसर और जनवरी 2005 में एक प्रोफेसर बने। 2016 में वह जेएनयू के वीसी बने थे।
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