डॉक्टरों के एक ग्रुप को संदेह है कि ब्लैक फ़ंगस होने का कारण इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन भी हो सकती है। ऑक्सीजन की कमी होने पर मेडिकल ऑक्सीजन की जगह इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन कोरोना रोगियों को दी गई। डॉक्टरों की माँग है कि इस बात की जाँच की जानी चाहिए कि इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन, मेडिकल ऑक्सीजन की तरह रोगियों के इस्तेमाल के लायक है या नहीं। कहीं इसी के चलते तो ब्लैक फ़ंगस नहीं फैला।

हमारे साँस की नमी से मास्क भी नम होता रहता है, जिसका हमें पता भी नहीं चलता है। इस नमी के कारण मास्क पर ब्लैक फ़ंगस पनप सकता है और साँस के ज़रिए हमारे शरीर में पहुँच सकता है। इसलिए डॉक्टरों की सलाह है कि मास्क रोज़ बदलें या फिर उसे 20 सेकेंड तक साबुन से धोकर सुखाने के बाद ही दोबारा इस्तेमाल करें।
ये बीमारी ऑक्सीजन की कमी पड़ने और इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन का इस्तेमाल शुरू होने के बाद ही शुरू हुई। ब्लैक फ़ंगस हमारे देश की हवा में हर जगह मौजूद है। फिर भी कोरोना के पहले दौर में यह बीमारी दिखाई नहीं दी। दूसरे दौर में इसके मामले इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन के इस्तेमाल के बाद ही सामने आए।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक