भारत और चीन के बीच वैसे तो दो हज़ार साल पुराना रिश्ता रहा है और इस दौरान भारतीयों ने चीन को जितना जाना और समझा उससे कहीं अधिक चीनियों ने भारत को समझा और भारत से हासिल ज्ञान से लाभ उठाया है, लेकिन पिछले 70 सालों के छोटे से कालखंड ने इस रिश्ते में जो खटास पैदा की उससे पूरे दो हज़ार साल के रिश्तों पर काला धब्बा लग गया। इस दौरान क़रीब पाँच दशक तक आम लोगों का एक-दूसरे के यहाँ आना-जाना बंद हो गया। लेकिन अच्छी बात यह है कि दोनों देशों के बीच संवाद के रिश्ते ने पिछले दो दशकों से फिर ज़ोर पकड़ा है। यह उम्मीद पैदा करता है कि दोनों देश मतभेद पैदा करने वाले मसलों को हल निकाल कर फिर वास्तविक तौर पर भाई-भाई की तरह रहने लगेंगे।