भारत और चीन के बीच वैसे तो दो हज़ार साल पुराना रिश्ता रहा है और इस दौरान भारतीयों ने चीन को जितना जाना और समझा उससे कहीं अधिक चीनियों ने भारत को समझा और भारत से हासिल ज्ञान से लाभ उठाया है, लेकिन पिछले 70 सालों के छोटे से कालखंड ने इस रिश्ते में जो खटास पैदा की उससे पूरे दो हज़ार साल के रिश्तों पर काला धब्बा लग गया। इस दौरान क़रीब पाँच दशक तक आम लोगों का एक-दूसरे के यहाँ आना-जाना बंद हो गया। लेकिन अच्छी बात यह है कि दोनों देशों के बीच संवाद के रिश्ते ने पिछले दो दशकों से फिर ज़ोर पकड़ा है। यह उम्मीद पैदा करता है कि दोनों देश मतभेद पैदा करने वाले मसलों को हल निकाल कर फिर वास्तविक तौर पर भाई-भाई की तरह रहने लगेंगे।
भारत-चीन में दो साल की गलबहियों से मिट जाएँगे 70 साल की कड़वाहट के धब्बे?
- देश
- |
- |
- 25 Nov, 2019

70 सालों के इतिहास में पैदा खटास की वजह से दोनों देशों में जो कटुता पैदा हुई है उसे दरकिनार करते हुए दोनों देश 2020 और 2021 के दौरान 70 ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करने की योजना को अंतिम रूप दे चुके हैं जो पिछले दो हज़ार सालों के रिश्तों के दौरान आपसी सौहार्द के रिश्तों के पुराने दौर की समीक्षा करते हुए नये मीठे दौर में प्रवेश करने की बातें करेंगे।
इसीलिए 70 साल के इस छोटे से कालखंड में पैदा कटुता को दरकिनार करते हुए भारत और चीन ने अगले दो सालों के दौरान आपसी रिश्तों को मधुर बनाने की ज़रूरत को समझा। दोनों ने बीते युग के दौरान बने मीठे रिश्तों की समीक्षा करने के लिए 70 ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है जिनसे भारत और चीन के लोग आज के संदर्भ में एक-दूसरे को बेहतर समझ सकेंगे। दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्तों की स्थापना के सात दशक पूरे होने के बाद अगला दो साल धूमधाम से मनाने की सैद्धांतिक मंज़ूरी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की गत 12 नवंबर को भारत यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अनौपचारिक शिखर बैठक के दौरान दी गई थी।