रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नवम्बर के दूसरे सप्ताह में अरुणाचल प्रदेश के दौरे में कई ढांचागत सुविधाओं के उद्घाटन के बाद चीन ने उनके अरुणाचल दौरे पर एतराज जाहिर करने वाला एक बयान जारी कर दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन का दावा है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का इलाका है। चीन इससे पहले भी भारत के शीर्ष नेताओं के अरुणाचल दौरे पर अपनी आपत्ति जाहिर करता रहा है। हम इस लेख में चीन के इस एतराज की पृष्ठभूमि में अरुणाचल प्रदेश और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों के तेजी से विकास की भारत के लिये क्या सामरिक और आर्थिक अहमियत है, उस पर चर्चा करेंगे।
उत्तर-पूर्वी राज्यों के विकास पर और ध्यान दे भारत, चीन से ले सबक
- विचार
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- 19 Nov, 2019

यदि हमने अपने उत्तर-पूर्वी राज्यों के इलाके के विकास को चीन के स्तर तक ले जाने में देरी की तो यह दीर्घकाल में भारत के लिये काफी घातक साबित होगा।
उत्तर-पूर्वी राज्य भारतीय नेताओं की निगाह से हाल तक बाहर ही रहे हैं क्योंकि वह इलाका विद्रोह ग्रस्त माना जाता रहा है। इससे भी अधिक 1962 के युद्ध के बाद भारतीय रक्षा कर्णधारों में यह धारणा बन गई कि यदि उत्तर-पूर्वी राज्यों में सड़कों और रेललाइनों के साथ हवाई यातायात के साधन विकसित हो गए तो भविष्य में चीन के साथ युद्ध की स्थिति में चीनी सैनिकों के लिये भारत के काफी अंदर तक घुसना आसान हो जाएगा। भारतीय रक्षा नीतिकार उन दिनों की याद करते हैं जब 1962 के युद्ध में चीनी सैनिक असम के तेजपुर तक घुस आए थे।