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ट्रंप टैरिफ से पूरी दुनिया में उथल-पुथल, भारतीय शेयर मार्केट धराशायी, आगे क्या

सोमवार को भारतीय शेयर बाजार ने भारी गिरावट के साथ शुरुआत की, जो ग्लोबल ट्रेड वॉर की बढ़ती आशंकाओं और यूएसए में संभावित मंदी की चिंताओं से पैदा ग्लोबल घबराहट का नतीजा है। प्रमुख सूचकांक निफ्टी 50 शुरुआती कारोबार में 4% से अधिक लुढ़क गया, जबकि बीएसई सेंसेक्स भी लगभग 4% की गिरावट के साथ नीचे आ गया। यह गिरावट ग्लोबल वित्तीय बाजारों में फैली अस्थिरता को सामने लायी है।

सुबह 11:18 बजे निफ्टी 50 में 4.03% की गिरावट दर्ज की गई और यह 21,982.05 पर कारोबार कर रहा था। शुरुआती घंटों में यह 5% तक नीचे चला गया था। बीएसई सेंसेक्स भी 3.86% की गिरावट के साथ 72,455.5 पर था। इन दोनों सूचकांकों के लिए मार्च 2020 के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट है। ग्लोबल आर्थिक अनिश्चितता की शुरुआत हो गई है।

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हालांकि बाजार खुलने से पहले ही चिंताजनक संकेत थे। आर्थिक विश्लेषकों ने अस्थिर सत्र की चेतावनी दी थी, लेकिन बिकवाली की तेजी ने सभी अनुमानों को पीछे छोड़ दिया और मुंबई के वित्तीय क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया। इस बाजार संकट का मूल कारण अमेरिका से शुरू हुआ, जहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को व्यापक पारस्परिक शुल्कों की घोषणा की। फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने इन शुल्कों को “अपेक्षा से अधिक बड़ा” बताया, जिससे निवेशकों में सप्लाई चेन के बाधित होने, लागत बढ़ने और ग्लोबल आर्थिक विकास में कमी की आशंका बढ़ गई।

शुक्रवार को पॉवेल ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए “अनिश्चित दृष्टिकोण” की चेतावनी थी दी और कहा था कि ये टैरिफ महंगाई को बढ़ा सकते हैं और विकास को प्रभावित कर सकते हैं। उनके बयान के बाद नैस्डैक सूचकांक आधिकारिक तौर पर मंदी क्षेत्र में प्रवेश कर गया। तेल की कीमतों और अन्य वस्तुओं के साथ ग्लोबल मार्केट में भारी गिरावट देखी गई। एशियाई बाजार भी इससे अछूते नहीं रहे—एमएससीआई एशिया (जापान को छोड़कर) सूचकांक में 7.6% की गिरावट आई, जबकि जापान का निक्केई 225 7% नीचे गिर गया।

भारत चूंकि एक प्रमुख उभरता बाजार है और ग्लोबल कारोबार व अमेरिकी राजस्व पर निर्भर है। उस फौरन प्रभाव पड़ा और यह गंभीर है। वेंचुरा सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख विनीत बोलिंजकर ने कहा, “निफ्टी 50 में निर्यात वाले क्षेत्रों का बड़ा हिस्सा होने के कारण यह मंदी की आशंकाओं के बीच भारी दबाव में है।” धातु और वित्तीय क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुए, जहां निफ्टी मेटल सूचकांक 7% और निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज सूचकांक 4% नीचे आ गया है।

बाजार के किसी भी हिस्से को राहत नहीं मिली, क्योंकि सभी 13 प्रमुख क्षेत्रों में नुकसान दर्ज किया गया। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) शेयर, जो अमेरिकी ग्राहकों पर बहुत अधिक निर्भर हैं, सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। निफ्टी आईटी सूचकांक 7% गिर गया, जो मार्च 2020 के बाद इसकी सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट की याद दिलाता है। स्मॉल-कैप और मिड-कैप सूचकांक भी 5.9% और 4.8% नीचे आए, क्योंकि जोखिम से बचने की भावना बाजार में छा गई।

भारत का निफ्टी अस्थिरता सूचकांक (VIX- Nifty volatility index), जिसे “भय सूचकांक” के नाम से जाना जाता है, 57% उछलकर 21.55 पर पहुंच गया—यह 4 जून 2024 के बाद का उच्चतम स्तर और एक दशक में इसकी सबसे बड़ी एक दिन में एक सत्र की वृद्धि है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषक संजीव प्रसाद ने कहा, “निवेशकों का विश्वास डगमगा गया है। पारस्परिक शुल्क, भले ही अस्थायी हों, कंपनियों और निवेशकों के लिए अनिश्चितता को बढ़ाते हैं।”

भारत की गिरावट ने एशिया में व्यापक बिकवाली को की तस्वीर पेश की है। एमएससीआई एशिया और निक्केई के नुकसान के अलावा, सियोल से सिंगापुर तक के बाजारों में भारी गिरावट देखी गई, जो ग्लोबल वित्त की परस्पर संबद्धता को बताता है। टैरिफ वृद्धि और चीन से जवाबी कार्रवाइयों ने लंबे आर्थिक गतिरोध की आशंका को बढ़ा दिया है, जिसमें भारत जैसे उभरते बाजार फंस गए हैं।

प्रसाद ने कहा, “आने वाले हफ्तों में भारतीय बाजारों का प्रदर्शन इस बात पर निर्भर करेगा कि टैरिफ स्थिति में सुलह होती है या और प्रतिक्रिया बढ़ती है।” भारत के खुदरा और संस्थागत निवेशकों का व्यवहार भी बाजार की अल्पकालिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण होगा।

यह गिरावट भारत के लिए विशेष रूप से नाजुक समय पर आई है। निफ्टी 50 सितंबर 2024 के अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर से 13% नीचे है, कॉर्पोरेट आय में मंदी और 27 अरब डॉलर की विदेशी पूंजी निकासी से प्रभावित है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बुधवार को अपनी मौद्रिक नीति की घोषणा करने वाला है। अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए 25 आधार अंकों की दर कटौती की उम्मीद की जा रही है।


विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि यदि व्यापार तनाव जारी रहा तो भारत के निर्यात-प्रधान क्षेत्र—आईटी, धातु, और फार्मास्यूटिकल्स—लंबे समय तक दबाव में रह सकते हैं। इस बीच, रुपये पर पहले से ही दबाव है और सुरक्षित संपत्तियों जैसे अमेरिकी डॉलर और सोने की ओर पूंजी प्रवाह के कारण इसमें और गिरावट का जोखिम है।

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फिलहाल, मुंबई के कारोबारी हॉल में सतर्क निराशावाद का माहौल है। इंडिया फॉरेक्स एंड असेट मैनेजमेंट के संस्थापक और सीईओ अभिषेक गोयनका ने कहा, “टैरिफ से संबंधित अनिश्चितता के कारण हम निकट भविष्य में सतर्क रहेंगे।” उन्होंने अनुमान लगाया कि यदि वैश्विक बिकवाली तेज होती है तो निफ्टी 50 हाल के निचले स्तर 21,800 को फिर से छू सकता है।

सोमवार के इस भयंकर सत्र के बाद, निवेशक और नीति निर्माता दोनों एक अस्थिर सप्ताह के लिए तैयार हैं। ग्लोबल व्यापार गतिशीलता, अमेरिकी आर्थिक संकेत, और भारत का घरेलू लचीलापन आगे की राह तय करेंगे। एक ऐसे बाजार के लिए जो कई तूफानों से गुजर चुका है, यह नवीनतम संकट इसकी सीमाओं से परे की शक्तियों के प्रति इसकी संवेदनशीलता की कड़ी याद दिलाता है।

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