हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने अडानी समूह के शेयरों में अफरा-तफरी ला दी है। समूह की क़रीब सभी कंपनियों के शेयरों पर लोअर सर्किट लग गए हैं। जानिए अडानी समूह के शेयरों के दाम बेतहाशा क्यों गिर रहे हैं?
कोरोना वायरस के खौफ़ और पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति के बीच शेयर बाज़ार में भी ज़बरदस्त खौफ दिखा। सुबह दस बजने से कुछ मिनट पहले ही सेंसेक्स में 2991.85 फ़ीसदी यानी 10 फ़ीसदी की गिरावट आ गई और सर्किट ब्रेकर लगाना पड़ा।
शेयर बाज़ार की उठापटक ने सबको चक्कर में डाल रखा है। ख़ासकर शुक्रवार को भारत के बाज़ारों ने जो जोश दिखाया, उसके बाद सोमवार की तेज़ गिरावट एक बड़े सदमे जैसी थी। अब सबके मन में एक ही सवाल है? कब तक गिरेगा बाज़ार और कब थमेगा यह खूनखराबा? बता रहे हैं आलोक जोशी।
शेयर बाज़ार शुक्रवार को औंधे मुँह गिरा। हफ़्ते के आख़िरी क़ारोबार में सेंसेक्स में 1,448.37 अंकों यानी 3.64 फ़ीसदी की गिरावट आई और यह 38,297.29 पर बंद हुआ। इससे क़रीब शेयर बाज़ार को छह लाख करोड़ का नुक़सान हुआ है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की यात्रा के बीच ही शेयर बाज़ार ने गोता लगाया है। सप्ताह के पहले दिन सोमवार को सेंसेक्स 806.89 अंकों की भारी गिरावट के साथ 40363.23 पर बंद हुआ।
डूबती अर्थव्यवस्था का एक और संकेत। अब शेयर बाज़ार औंधे मुँह गिरा है। इस गिरावट से 2 लाख 55 हज़ार करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी यह मानने को तैयार क्यों नहीं हैं कि अर्थव्यवस्था ख़राब हालत में है? देखिए आशुतोष की बात में क्यों है ऐसी स्थिति।