loader
फ़ोटो साभार: ट्विटर/@narendra52

चीनी जहाज जा रहा श्रीलंकाई बंदरगाह, भारत चिंतित क्यों?

एक चीनी अनुसंधान और सर्वेक्षण जहाज 11 अगस्त को दक्षिणी श्रीलंका में चीनी संचालित हंबनटोटा बंदरगाह जा रहा है। इस वजह से भारत की चिंताएँ बढ़ी हुई लगती हैं। भारत ने कहा है कि वह स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है। हंबनटोटा बंदरगाह को लेकर पहले भी भारत और चीन के बीच तनाव हो चुका है। हालाँकि यह तनाव ज़्यादा नहीं बढ़ा था। तो क्या इस बार भी यह मामला पहले की तरह ही है?

यह हंबनटोटा बंदरगाह दक्षिणी श्रीलंका में पूर्व-पश्चिम समुद्री मार्ग के क़रीब है। इस बंदरगाह का निर्माण 2008 में शुरू हुआ था, जिसके लिए चीन ने एक बड़ा कर्ज दिया था। इसको बनाने में चीन हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी (सीईसी) और चीन हाइड्रो कॉर्पोरेशन नाम की सरकारी कंपनियों ने एक साथ मिलकर काम किया था।

ताज़ा ख़बरें

इस परियोजना के शुरू होने के समय व्यवहारिकता को लेकर किए गए अध्ययन में उपयुक्त नहीं पाया गया था। अध्ययन में बताया गया था कि इतनी महंगी परियोजना व्यवहारिक रूप से सही नहीं है। ऐसे में बार-बार होने वाले नुकसान के बहाने, एक विस्तृत योजना तैयार की गई ताकि चीन इस बंदरगाह के स्वामित्व को 99 वर्षों के लिए ले सके। ऐसे में बंदरगाह के प्रबंधन और संचालन की जिम्मेदारी पूरी तरह से चीन की कंपनियों के हाथ में चली गई।

इसी हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी जहाज जा रहा है। डेकन हेराल्ड ने ख़बर दी है कि एनालिटिक्स वेबसाइट मरीन ट्रैफिक के अनुसार, 11 अगस्त को अनुसंधान और सर्वेक्षण जहाज युआन वांग-5 दक्षिणी श्रीलंका में चीनी संचालित हंबनटोटा पोर्ट में डॉक करने वाला है। भारतीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि नई दिल्ली को चिंता थी कि जहाज का इस्तेमाल उसकी गतिविधियों की जासूसी करने के लिए किया जाएगा और उसने कोलंबो में शिकायत दर्ज कराई थी। 

इस पर श्रीलंका की ओर से सफाई आई है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय के मीडिया प्रवक्ता कर्नल नलिन हेराथ ने कहा है कि श्रीलंका भारत की चिंता को समझता है क्योंकि जहाज सैन्य प्रतिष्ठानों की निगरानी करने में सक्षम है, लेकिन यह एक नियमित अभ्यास है।

देश से और ख़बरें

कर्नल हेराथ ने कहा, 'भारत, चीन, रूस, जापान और मलेशिया से समय-समय पर नौसेना के जहाजों ने अनुरोध किया है और इसलिए हमने चीन को अनुमति दी है। जब हमारे रास्ते में एक परमाणु-सक्षम जहाज आ रहा हो तभी हम पहुँच से इनकार कर सकते हैं। यह परमाणु सक्षम जहाज की तरह नहीं है।' उन्होंने यह भी कहा है कि चीन ने श्रीलंका को सूचित किया है कि वे हिंद महासागर में निगरानी और नेविगेशन के लिए जहाज भेज रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि चीनी जहाज 'बेहद सक्षम, उन्नत नौसैनिक पोत है जिसमें बहुत सारे परिष्कृत हिस्से हैं।' 

बता दें कि इसी तरह की स्थिति 2014 में सामने आई थी जब दो चीनी पनडुब्बियाँ हंबनटोटा पोर्ट पर आई थीं। इससे तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई थी। चीन ने तब श्रीलंका को भी यह नहीं बताया था कि उन्होंने एक पनडुब्बी भेजी है। तब से श्रीलंका के बंदरगाहों पर चीनी पनडुब्बी का ऐसा कोई दौरा नहीं हुआ है।

सम्बंधित खबरें

भारत ने यह साफ़ कर दिया है कि वह भारत की सुरक्षा और आर्थिक हितों पर किसी भी असर की बारीकी से निगरानी करेगा और उनकी सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा।

भारत को श्रीलंका में चीन के बढ़ते प्रभाव पर संदेह बना हुआ है। 1.4 अरब डॉलर के हंबनटोटा बंदरगाह सहित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए बीजिंग का बड़ी मात्रा में धन बकाया है। ऋण चुकता करने में असमर्थ होने के बाद श्रीलंका ने 2017 में मुख्य पूर्व-पश्चिम अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन के साथ स्थित बंदरगाह पर एक चीनी कंपनी को 99 साल का पट्टा दिया। भारत के लिए यह चिंतित करने वाली घटना रही है और यही वजह है कि इससे भारत सशंकित रहता है। भारत के सशंकित होने की एक बड़ी वजह यह भी है कि चीन विस्तारवादी नीति अपना रहा है और हिंद महासागर में अपने प्रभाव बढ़ाना चाहता है। हंबनटोटा बंदरगाह सामरिक रूप से काफी अहम है। इसलिए भारत की चिंताएँ भी गैर वाजिब नहीं जान पड़ती हैं।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें