भारत के प्रधानमंत्री ने दलाई लामा को उनके 87वें जन्मदिन पर बधाई दी तो चीन को चुभ गया। चीन ने इसको लेकर आपत्ति जताई और भारतीय प्रधानमंत्री की आलोचना की तो भारत ने भी पलटवार किया है। इसने कहा है कि तिब्बती धार्मिक नेता को भारत में 'सम्मानित अतिथि' के रूप में मानने की एक 'निरंतर नीति' रही है।
भारत की यह प्रतिक्रिया तब आई जब चीन ने दलाई लामा के जन्मदिन पर दिए गए संदेश पर आपत्ति जताई। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि 'भारतीय पक्ष को 14 वें दलाई लामा की चीन विरोधी अलगाववादी प्रकृति को पूरी तरह से पहचानना चाहिए'।
झाओ ने कहा कि भारत को चीन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का पालन करना चाहिए, समझदारी से बोलना और कार्य करना चाहिए और चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए तिब्बत से संबंधित मुद्दों का उपयोग करना बंद करना चाहिए'।
इसके कुछ घंटों बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जोर देकर कहा कि 'यह भारत सरकार की एक सतत नीति रही है कि दलाई लामा को भारत में एक सम्मानित अतिथि के रूप में और एक सम्मानित धार्मिक नेता के रूप में माना जाता है, जिनके भारत में काफी संख्या में अनुयायी हैं।'
बागची ने कहा, 'प्रधानमंत्री द्वारा दलाई लामा को उनके 87वें जन्मदिन पर जन्मदिन की बधाई को इस समग्र संदर्भ में देखा जाना चाहिए'। उन्होंने कहा कि मोदी ने पिछले साल भी उन्हें बधाई दी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लगातार दूसरे वर्ष दलाई लामा को उनके जन्मदिन पर बात की और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने ट्वीट किया था, 'हम उनकी लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।'
चीनी प्रवक्ता ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई देने पर भी आपत्ति जताई।
चीन दलाई लामा पर कथित अलगाववादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाता रहा है, हालांकि, तिब्बती आध्यात्मिक नेता का कहना है कि वह आज़ादी नहीं बल्कि मध्य-मार्गी दृष्टिकोण के तहत तिब्बत के तीन पारंपरिक प्रांतों में रहने वाले सभी तिब्बतियों के लिए वास्तविक स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं। भारत द्वारा दलाई लामा को सहयोग दिए जाने को लेकर ही चीन आपत्ति जताता रहा रहा है।
पीटीआई के मुताबिक, दलाई लामा 14 जुलाई को जम्मू और अगले दिन लद्दाख की यात्रा पर जाने वाले हैं। यह पिछले दो वर्षों में धर्मशाला के बाहर तिब्बती नेता की पहली यात्रा होगी। माना जा रहा है कि इससे चीन और अधिक ज़्यादा नाक-भौं सिकोड़ेगा।
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