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देश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बीच अब कई राज्यों में उनको रोकने के लिए सख्ती शुरू हो गई है। कई राज्यों ने फिर से मास्क अनिवार्य कर दिया है, जबकि कई अन्य ने सावधानियाँ बरतने की सलाह दी है। संक्रमण के मामलों के बढ़ने से केंद्र सरकार भी चिंतित नज़र आ रही है और कई उच्च स्तरीय बैठकें भी ली जा चुकी हैं। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कोरोना पर तैयारी को लेकर एक बैठक ली थी।
देश में कोरोना संक्रमण के मामले अब 5000 से भी ज़्यादा आने लगे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रविवार सुबह जारी किए गए आँकड़ों के अनुसार देश में 24 घंटों में 5300 से ज़्यादा संक्रमण के मामले आए हैं। इससे एक दिन पहले 6155 मामले सामने आए थे। उससे पहले शुक्रवार को जारी किए गए आँकड़ों के अनुसार देश में 24 घंटे में 6,050 नये मामले आए थे। यह संख्या एक दिन पहले गुरुवार को आए 5,335 मामलों की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक थी। तब पिछले साल 16 सितंबर के बाद पहली बार दैनिक मामलों ने 6,000 का आँकड़ा पार किया था।
संक्रमण बढ़ने पर जिन राज्यों ने फ़ेस मास्क को ज़रूरी किया है उनमें हरियाणा, केरल और पुदुचेरी शामिल हैं। हरियाणा सरकार ने एहतियात के तौर पर सार्वजनिक स्थानों पर फेस मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है।
हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग ने जनता से कोविड उपयुक्त व्यवहार अपनाने का आग्रह किया है। जिला प्रशासन और पंचायतों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि इसे राज्य के सभी हिस्सों में लागू किया जाए।
पुदुचेरी प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है। अस्पतालों, होटलों, रेस्तरां, शराब की दुकानों, आतिथ्य और मनोरंजन क्षेत्रों, सरकारी कार्यालयों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से मास्क पहनना होगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने एक 'उच्च प्राथमिकता' निर्देश जारी किया है, जिसमें अधिकारियों को सभी हवाई अड्डों पर अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की स्क्रीनिंग सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। सरकारी आदेश में कहा गया है कि सभी नमूने जो कोविड के लिए सकारात्मक परीक्षण करते हैं, उन्हें जीनोम अनुक्रमण के लिए भेजा जाना चाहिए। दिल्ली में अस्पतालों, पॉलीक्लिनिक और डिस्पेंसरियों को स्वास्थ्य विभाग ने टेस्टिंग बढ़ाने का निर्देश दिया है।
पिछले महीने से ही कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। तब कोरोना मामले बढ़ने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्च अधिकारियों की बैठक लेकर प्रयोगशाला निगरानी, जीनोम सीक्वेंसिंग बढ़ाने और साँस से जुड़ी गंभीर बीमारी के मामलों की जाँच करने की ज़रूरत पर जोर दिया था।
उन्होंने बैठक की अध्यक्षता करते हुए सभी को कोरोना वायरस के खिलाफ आवश्यक सावधानी बरतने और सतर्कता बनाए रखने की सलाह दी थी।
जीनोम सीक्वेंसिंग पर इसलिए जोर दिया जाता रहा है कि जब भी संक्रमण के मामले बढ़ते हैं तो वायरस के नया स्ट्रेन या म्यूटेंट को ज़िम्मेदार माना जाता है। आसान शब्दों में कहें तो नये किस्म के कोरोना की आशंका रहती है। और इसका पता तभी चलता है जब जीनोम सीक्वेंसिंग की जाए।
बता दें कि 2021 की जनवरी में सरकार ने 10 प्रयोगशालाओं के नेटवर्क के माध्यम से भारत में जीनोम सीक्वेंसिंग के प्रयास को तेज़ करने के लिए भारतीय SARS-CoV2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) की स्थापना की थी। तब से कोरोना के नये-नये रूपों का पता लगाने के लिए लगातार जीनोम सीक्वेंसिंग की जाती रही है। लेकिन संक्रमण के मामले कम होने पर यह प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है।
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