भारत में कोरोना संकट को तो एक समस्या बताया ही जा रहा था अब इसकी वैक्सीन नीति को लेकर ऐसे ही तर्क रखे जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि भारत की वैक्सीन नीति ने दुनिया के कई देशों के सामने एक संकट खड़ा कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि देश से वैक्सीन के निर्यात पर पाबंदी से उन 91 देश बुरी तरह प्रभावित हुए हैं जो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की वैक्सीन पर निर्भर थे। इनमें एस्ट्राज़ेनेका और नोवावैक्स के साथ तैयार होने वाली दोनों कंपनियों की वैक्सीन शामिल हैं।
क्या भारत की वैक्सीन नीति से दुनिया के कई देशों में संकट बढ़ा?
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- 1 Jun, 2021
भारत की वैक्सीन नीति को लेकर कहा जा रहा है कि इसने दुनिया के कई देशों के सामने एक संकट खड़ा कर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि देश से वैक्सीन के निर्यात पर पाबंदी से उन 91 देश बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में देश में भयावह हालात होने के बाद कोरोना नियंत्रण के सरकार के प्रयास और वैक्सीन नीति पर सवाल उठते रहे हैं। सरकार की इसलिए आलोचना की गई कि इसने वैक्सीन के लिए पहले से ऑर्डर नहीं दिए जब अमेरिका और यूरोपीय देश ऐसा कर रहे थे। सरकार की इसलिए भी आलोचना की गई कि सरकार ने समय पर ऐसी किसी आर्थिक मदद देकर वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों की क्षमता बढ़ाने का प्रयास नहीं किया। और जब कोरोना की दूसरी लहर आई, हर रोज़ लाखों लोग संक्रमित होने लगे, अस्पताल में व्यवस्था कम पड़ गई, मेडिकल ऑक्सीजन, अस्पताल बेड व दवाइयों की कमी के कारण लोग मरने लगे और श्मशानों-कब्रिस्तानों में जब जगह कम पड़ने लगी तो टीकाकरण में तेज़ी लाने का प्रयास किया गया। वैक्सीन के निर्यात पर पाबंदी लगा दी गई।