देश के 20 भारतीय प्रबंध संस्थान यानी आईआईएम ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से पत्र लिखकर माँग की है कि उन्हें ‘इंस्टीट्यूशंस ऑफ़ एक्सिलेंस’ का दर्जा दिया जाए। यह दर्जा इन शीर्ष प्रबंध संस्थानों को सम्मान दिलाने या छात्र-छात्राओं या देश के हित को देखते हुए नहीं माँगा गया है, बल्कि इसका मक़सद संस्थानों में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस), अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) कोटे के माध्यमों से प्रोफ़ेसरों की भर्तियाँ नहीं करना है।
आईआईएम क्यों नहीं लागू करना चाहते हैं आरक्षण, सरकार झुकेगी?
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- 1 Jan, 2020

जिस आरक्षण पर महाभारत होती रहती है उसे ही अपने यहाँ लागू नहीं करने के लिए भारतीय प्रबंधन संस्थान यानी आईआईएम ने माँग की है। क्या सरकार झुकेगी?
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की एक ख़बर के मुताबिक़ इन आईआईएम ने तर्क दिया है कि छूट दिए जाने का पहले से उदाहरण है, इसलिए आईआईएम ने भी ऐसा अनुरोध किया है। आईआईएम ने तर्क दिया है कि संस्थान की भर्ती प्रक्रिया साफ़ सुथरी है और संस्थान यह कवायद करता है कि वंचित तबक़े को भी इसी प्रक्रिया के तहत प्रवेश दिया जाए। इसका कहना है कि लेकिन आरक्षण संभवतः वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धा करने का रास्ता नहीं हो सकता है।