भारत में जाति आधारित जनगणना अंतिम बार 1931 में हुई थी। उसी आधार पर मंडल कमीशन ने अनुमान लगाया था कि देश की 52 प्रतिशत आबादी पिछड़े वर्ग की है। साथ ही सिफ़ारिश भी की थी कि नए सिरे से जातीय जनगणना कराई जाए, जिससे वंचित तबक़े की वास्तविक संख्या के बारे में जानकारी हासिल की जा सके। इसके अलावा 17 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति और 7.5 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति की मानी जाती है। इसमें ओबीसी की संख्या बढ़ने की संभावना है क्योंकि तमाम जातियों को समय-समय पर सामान्य से ओबीसी वर्ग में शामिल किया जाता रहा है। अगली जनगणना होने को है। सरकार पर दबाव बन रहा है कि जातीय जनगणना कराई जाए, वहीं वह रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस तैयार कराने की घोषणा कर चुकी है।