यह लेख पत्रकार और पूर्व विधायक जरनैल सिंह ने लिखा है। यह वही जरनैल सिंह हैं जिन्होंने 2009 में तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम पर जूता फेंका था और जिसके बाद कांग्रेस को दाग़ी उम्मीदवारों को टिकट देने का फ़ैसला बदलना पड़ा था। जरनैल दैनिक जागरण में पत्रकार थे और बाद में 84 दंगों पर किताब लिखी थी। दंगों में उनके परिवार के लोग भी मारे गये थे।
सज्जन की आँखों में था मौत का ख़ौफ़ और होठों पर महामृत्युंजय मंत्र
- क़ानून
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- 18 Dec, 2018

कांग्रेस के मुख्यालय में सांकेतिक विरोध दर्ज कराने के पीछे यही मंशा थी कि इतिहास यह न कह दे कि गुरु गोविंद सिंह के बेटे 1984 के नरसंहार से घबरा गए। न्याय न हुआ तो क्या, विरोध करने का जज़्बा तो ख़त्म नही हुआ! क़ातिलों पर जूता उछाल कर उनका सिर तो शर्म से झुका दिया!
जरनैल सिंह अब आम आदमी पार्टी से जुड़े हैं। विधायक रह चुके हैं। 2009 में उन्होने 84 नरसंहार के विरोध में गृह मंत्री पी. चिंदंबरम पर जूता उछाला था। दंगों पर एक किताब भी लिखी है। वे दैनिक जागरण में रिपोर्टर रह चुके हैं।