सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए अपने हलफ़नामे में राव ने कहा कि वह इस बात को स्वीकार करते हैं कि उन्होंने जाँच अधिकारी एके शर्मा का ट्रांसफ़र करने के लिए कोर्ट से अनुमति न लेकर ग़लती की। राव ने कहा, 'मैं अपनी ग़लती के लिए बिना शर्त माफ़ी माँगता हूँ और मैं सपने में भी माननीय अदालत के आदेश का उल्लंघन करने के बारे में नहीं सोच सकता।'
सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि जानबूझकर अदालत की अवमानना की गई है। राव का बचाव करते हुए अटॉर्नी जरनल केके वेणुगोपाल ने कहा कि राव का 32 साल का बेदाग करियर रहा है, राव ने ग़लती मान ली है, इसलिए अदालत उन पर नरम रुख दिखाए। वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किया कि इस मामले में कई ग़लतियाँ की गईं। उन्होंने कहा कि राव ने ऐसा जानबूझकर नहीं किया।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राव को 12 फ़रवरी को अदालत के सामने पेश होने को कहा था। मुज़फ़्फरपुर शेल्टर होम मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट का रुख बेहद सख़्त रहा। कोर्ट ने राव के साथ ही एक अन्य अधिकारी को भी कोर्ट के सामने उपस्थित होने को कहा है।
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