अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय के 14 छात्रों पर देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज किया गया है। उन पर यह आरोप है कि उन्होंने 'पाकिस्तान जिन्दाबाद' के नारे लगाए हैं, हालाँकि आरोप लगानेवालों ने अब तक इसका कोई सबूत नहीं पेश नहीं किया है, न ही अब तक इस घटना का कोई असली या नक़ली वीडियो सामने आया है। जिन छात्रों पर यह आरोप लगाया गया है, उन्होंने इस तरह के नारे लगाने से पूरी तरह इनकार किया है। फिर भी पुलिस ने इन छात्रों के ख़िलाफ़ देशद्रोह का मामला दर्ज किया है!
एएमयू छात्रों पर देशद्रोह का मुक़दमा, सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना
- क़ानून
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- 14 Feb, 2019
अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय के 14 छात्रों के ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज होने के साथ ही यह सवाल एक बार फिर सुर्खियों में है कि देशद्रोह आखिर क्या है।

सवाल यह है कि बिना किसी सबूत के पुलिस ऐसे कैसे देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज कर सकती है? क्या उत्तर प्रदेश पुलिस को देशद्रोह के मुद्दे पर दिये गये सुप्रीम कोर्ट के बहुचर्चित फ़ैसले की कोई जानकारी नहीं है? जानकारी न हो, ऐसा सम्भव नहीं क्योंकि जेएनयू मामले में देश भर में इस बात की व्यापक चर्चा हुई थी कि सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह को कैसे परिभाषित किया है। सुप्रीम कोर्ट की उस परिभाषा के अनुसार यदि इन छात्रों ने वास्तव में पाकिस्तान समर्थक नारे लगाये भी होते, तब भी इनके ख़िलाफ़ देशद्रोह का मामला नहीं बन सकता था।