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यूक्रेन युद्ध में एक और भारतीय मारा गया। कई भारतीय अभी भी फँसे हुए हैं। कहा जा रहा है कि वे रूस की सेना की ओर से लड़ रहे हैं। रिपोर्टें हैं कि वे या तो धोखे से या फिर जबरन युद्ध के अग्रिम मोर्चे पर भेज दिए गए हैं। रिपोर्टें आ रही हैं कि कई तो रोजगार तलाशने गए थे। अब वे वहाँ से छुड़ाए जाने के लिए भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने हाल ही में कहा था कि कम से कम 20 लोगों ने छुड़ाए जाने की गुहार लगाई है। पंजाब-हरियाणा के सात युवकों का वीडियो भी बुधवार को वायरल हुआ है जिसमें उन्होंने खुद को जबरन युद्ध के मोर्चे पर भेजे जाने का आरोप लगाया है।
इसी बीच हैदराबाद के एक 30 वर्षीय व्यक्ति की युद्ध में मौत की ख़बर आई है। रिपोर्टों के अनुसार इस व्यक्ति को कथित तौर पर धोखाधड़ी का शिकार होने के बाद रूसी सेना में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया था।
मोहम्मद असफान के रूप में पहचाने गए युवक के परिवार ने उसे रूस से वापस लाने में सहायता के लिए एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी से संपर्क किया। हालांकि, जब एआईएमआईएम ने मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क किया तो अधिकारियों ने पुष्टि की कि असफान की मौत हो गई है।
कई अन्य लोगों के साथ असफान को कथित तौर पर एजेंटों द्वारा गुमराह किया गया था, जिन्होंने उन्हें युद्ध में रूसी सेना की सहायता के लिए 'सहायक' के रूप में भर्ती किया था।
मंगुकिया 21 फरवरी को रूस-यूक्रेन सीमा के डोनेट्स्क क्षेत्र में यूक्रेन द्वारा किए गए हवाई हमले में मारा गया था।
कई भारतीयों को रूसी सेना में सुरक्षा सहायक के रूप में काम करने के लिए धोखा दिया गया है, मीडिया रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि कुछ को सीमावर्ती क्षेत्रों में यूक्रेनी सैनिकों के साथ लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
रूस की ओर से यूक्रेन युद्ध में भारतीयों को जबरन भेजे जाने का मंगलवार देर शाम को ही एक वीडियो वायरल हुआ है। उन्होंने खुद को छुड़ाने और देश वापस लौटने की गुहार लगाई है। वीडियो में उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें जबरन युद्ध में भेजा जा रहा है। उन्होंने तो यहाँ तक कहा है कि उन्हें बंदूक तक चलाने नहीं आती है। उन्होंने कहा है कि वे रूस में पर्यटक के तौर पर घूमने गए थे, लेकिन धोखे से उन्हें युद्ध में झोंक दिया गया।
कुछ दिन पहले ही विदेश मंत्रालय यानी एमईए ने कहा था कि भारत रूसी सेना में सहायक स्टाफ के रूप में काम करने वाले लगभग 20 भारतीयों को जल्दी छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रहा है।
इसी बीच अब सात लोगों के एक समूह का एक नया वीडियो आया है। अब वायरल हो रहे वीडियो में सात लोगों को एक कमरे के अंदर सेना की वर्दी पहने देखा जा सकता है। एक बंद खिड़की वाले कमरे में रिकॉर्ड किए गए वीडियो में उनमें से छह एक कोने में खड़े दिखते हैं और एक अन्य अपनी स्थिति के बारे में बता रहा है।
वीडियो में एक युवक कहता है, 'हम 27 दिसंबर को नए साल के लिए पर्यटक के रूप में रूस घूमने आए और एक एजेंट से मिले जिसने हमें विभिन्न स्थानों पर घुमाने में मदद की। उन्होंने हमें बेलारूस ले जाने की पेशकश की, लेकिन हमें नहीं पता था कि हमें उस देश के लिए वीज़ा की ज़रूरत होगी। हम बेलारूस गए जहां हमने उसे पैसे दिए, लेकिन उसने और पैसे की मांग की। उसने हमें एक राजमार्ग पर छोड़ दिया क्योंकि हमारे पास उसे भुगतान करने के लिए पैसे नहीं थे।'
फिर वह आगे कहते हैं, 'फिर हमें पुलिस ने पकड़ लिया जिसने हमें रूसी सेना को सौंप दिया। उन्होंने हमें लगभग तीन से चार दिनों तक किसी अज्ञात स्थान पर बंद कर दिया। बाद में उन्होंने हमें सहायक, ड्राइवर और रसोइया के रूप में काम करने के लिए उनके साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया और ऐसा न करने पर हमें 10 साल के लिए जेल भेजने की धमकी दी। अनुबंध उनकी भाषा में था जिसे हम समझ नहीं सके, लेकिन हमने उस पर हस्ताक्षर कर दिये। उन्होंने हमें एक प्रशिक्षण केंद्र में नामांकित किया और हमें बाद में एहसास हुआ कि उन्होंने हमें धोखा दिया है। उन्होंने हमें अपनी सेना में भर्ती किया और प्रशिक्षण दिया।'
उन्होंने आगे कहा, 'प्रशिक्षण के बाद हमें यूक्रेन में छोड़ दिया गया और उन्होंने हमारे कुछ दोस्तों को युद्ध की अग्रिम पंक्ति में भेज दिया। और अब वे कह रहे हैं कि वे हमें अग्रिम पंक्ति में भेजेंगे। हम किसी भी युद्ध के लिए तैयार नहीं हैं और हम ठीक से बंदूकें भी नहीं पकड़ सकते, लेकिन वे हमें यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में लड़ने के लिए मजबूर कर रहे हैं।' उन्होंने भारत सरकार से मदद का आग्रह करते हुए कहा है कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि भारत सरकार और दूतावास हमारी मदद करेंगे।
अब तक पंजाब, कश्मीर, कर्नाटक, गुजरात और तेलंगाना के कई लोग यूक्रेन के साथ रूस के युद्ध में फंस गए हैं। बेहतर नौकरियों की तलाश में उनमें से अधिकांश यूट्यूब चैनल के माध्यम से अधिक पैसे का वादा किए जाने के बाद रूस पहुँचे। द इंडियन एक्सप्रेस ने इन लोगों के परिवारों से भी बात की, जिन्होंने कहा कि उन्हें धोखा दिया गया था कि वे रूसी सरकार के कार्यालयों में सहायक के रूप में नौकरियों के लिए आवेदन कर रहे थे। लेकिन उन्हें अग्रिम पंक्ति में जाने के लिए मजबूर किया गया था।
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