चुनौती की वजहें
कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को इन खास वजहों से चुनौती मिल रही है - 1.हिजाब पर बहस को व्यक्तिगत पसंद की बजाय धार्मिक आजादी से जोड़ना। 2. कॉलेजों में हिजाब पहनने से रोकने वाले कर्नाटक सरकार के आदेश में कमियां (जिसे खुद अटॉर्नी जनरल ने सुनवाई के दौरान स्वीकार किया था)।3. अंतरात्मा की आजादी को धार्मिक आजादी से अलग करना।हाईकोर्ट के फैसले के तीन आधार
1. संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत क्या हिजाब इस्लाम में अनिवार्य धार्मिक प्रथा है।2. क्या सरकार का स्कूल यूनिफॉर्म का निर्देश किसी के अधिकारों का उल्लंघन है। 3. क्या कर्नाटक सरकार का 5 फरवरी का आदेश अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है। और वो आदेश मनमाना और अस्पष्ट है।129 पेज के फैसले में अदालत ने जरूरी धार्मिक प्रेक्टिस को हिजाब पर बहस के केंद्र में रखा। कोर्ट ने भाषण और अभिव्यक्ति की आजादी और समानता के अधिकार पर बहस को दरकिनार किया। उसने एक तरह से धार्मिक आजादी के मुकाबले इन्हें कम अधिकार माना।असल में हाईकोर्ट की बेंच ने याचिकाकर्ताओं की अभिव्यक्ति, खाने, पहनने-ओढ़ने की आजादी की व्याख्या करने के मुकाबले सरकार के मामले को मजबूत करने वाले प्रतिबंधों को महत्व दिया है।
“
यह शायद ही कहने की जरूरत है कि स्कूल एक योग्य सार्वजनिक स्थान (पब्लिक स्पेस) है जो मुख्य रूप से छात्रों को शैक्षिक निर्देश देने के लिए बने हैं ... ऐसे 'पब्लिक स्पेस' व्यक्तिगत अधिकारों के दावे को पीछे छोड़ते हैं।
-कर्नाटक हाईकोर्ट, अपने फैसले में
“
धर्म, भाषा, लिंग की परवाह किए बिना सभी स्टूडेंट्स के लिए ड्रेस कोड समान रूप से लागू होता है। इसमें मौलिक अधिकार कहां आता है।
-कर्नाटक हाईकोर्ट, अपने फैसले में
सार्वजनिक व्यवस्था उन आधारों में से एक है जिस पर संविधान के तहत धर्म की स्वतंत्रता को कम किया जा सकता है। राज्य सरकार ने अपने आदेश में भाषा की गलती स्वीकार की थी। सरकार के मानने के बावजूद कोर्ट ने सरकारी आदेश की खामियों पर ध्यान नहीं दिया और एक तरह से राज्य सरकार को संदेह का लाभ मिला। हालांकि अदालत ने कहा कि सरकारी आदेश में सार्वजनिक आदेश शब्द का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए था। कोर्ट ने कहा-
“
अंतरात्मा की आजादी पर, याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि हिजाब पहनने के लिए धार्मिक आजादी के अधिकार से अलग एक अधिकार मौजूद है। लेकिन सिर्फ उनके विवेक का हवाला देना पर्याप्त नहीं होगा और याचिकाकर्ताओं को अपने विवेक को साबित करने के लिए सबूत लाने होंगे।
- कर्नाटक हाइकोर्ट अपने फैसले में
क्या कहा याचिकार्ता लड़कियों ने
हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद इस मामले को अदालत तक ले जाने वाली छात्राओं ने निराशाजनक बताया था। याचिका दायर करने वाली 5 छात्राओं ने कहा था - हाईकोर्ट के फैसले से हमें निराशा हुई है। हमें हमारे मौलिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया है। हिजाब का मुद्दा, स्थानीय स्तर पर हल किया जाना चाहिए था, लेकिन अब वो राजनीतिक और सांप्रदायिक रंग ले चुका है। हिजाबी लड़कियों ने कहा-“
हम हिजाब चाहते हैं। हम हिजाब के बिना कॉलेज नहीं जाएंगे। महिलाओं के लिए स्कार्फ उनके धर्म का एक अनिवार्य हिस्सा है और कुरान में इसका उल्लेख किया गया है।
-हाईकोर्ट के फैसले पर याचिकाकर्ता हिजाबी लड़कियों की प्रतिक्रिया
अपनी राय बतायें