ज्ञानवापी मामले में गुरुवार की सुनवाई के दौरान मस्जिद कमेटी के वकील ने दलीलें पेश कीं। इस मामले की सुनवाई सोमवार को फिर होगी। मस्जिद कमेटी ने प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट 2019 का हवाला देते हुए कहा कि यह मामला सुनवाई के लायक नहीं है।
मस्जिद कमेटी के वकील अभयनाथ यादव और मुमताज ने अदालत में कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर अभी तक शिवलिंग का अस्तित्व सिद्ध नहीं हुआ है। शिवलिंग को लेकर अफवाह फैलाई गई। इससे सरकारी व्यवस्था पर असर पड़ा। इस मामले में जब तक शिवलिंग का अस्तित्व सिद्ध नहीं हो जाता तब तक किसी तरह की कोई अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
मस्जिद कमेटी के वकील जब दलीलें पेश कर रहे थे तो बीच बीच में मंदिर कमेटी के वकील भी टोकाटाकी कर रहे थे। इस पर अदालत ने कई बार दोनों को टोका। मस्जिद कमेटी के वकील अभयनाथ यादव को एक बार ऊंची आवाज में बोलने के लिए भी टोका गया। अदालत में सुनवाई के दौरान 36 लोग मौजूद थे। करीब एक घंटे की सुनवाई के बाद अदालत ने 30 मई को अगली तारीख सुनवाई के लिए तय की।
बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मस्जिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट गई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को वाराणसी कोर्ट में भेजते हुए कहा कि कोई सीनियर जज वहां सुनवाई करे। इससे पहले वाराणसी की कोर्ट ने दो कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए, जिन्हें सर्वे करने के लिए कहा गया था। इनमें से एक कोर्ट कमिश्नर पर आरोप है कि उन्होंने मीडिया को यह कथित सूचना लीकर कर दी कि वहां शिवलिंग पाया गया। इससे पूरे देश में जबरदस्त अफवाह फैल गई और बहुत सारे लोगों ने इस सच भी मान लिया, जबकि अदालत ने अभी शिवलिंग के मुद्दे पर कुछ नहीं कहा है। सिर्फ उस जगह की सुरक्षा का निर्देश दिया और वहां नमाज और वजू की भी अनुमति दी।
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