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आरोग्य सेतु: सरकार को क्यों सफ़ाई देनी पड़ी कि डाटा सुरक्षा को कोई ख़तरा नहीं?

'आधार' ऐप में गड़बड़ियाँ उजागर करने वाले फ़्रांसीसी हैकर ने दावा किया है कि आरोग्य सेतु ऐप में डाटा सुरक्षित नहीं हैं और क़रीब 9 करोड़ भारतीयों की निजता ख़तरे में है।  हैकर के इस दावे के जवाब में सरकार को सफ़ाई जारी करनी पड़ी। सरकार ने इसे सिरे से खारिज कर दिया और कहा है कि इसमें कोई भी सुरक्षा चूक नहीं है। इसने कहा कि उस हैकर द्वारा किसी भी यूज़र के बारे में कोई ऐसी जानकारी नहीं दी गई है जिससे सिद्ध हो कि लोगों का डाटा ख़तरे में है। 

आरोग्य सेतु ऐप पर इसलिए विवाद हो रहा है कि शुरू से ही इसमें डाटा की सुरक्षा और निजता को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। अभिव्यक्ति और निजता को लेकर काम करने वाली संस्था इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन यानी आईएफ़एफ़ ने कहा है कि इस ऐप में कई कमियाँ हैं। सुरक्षा चिंताओं को लेकर सवालों के उठने के बीच ही केंद्र सरकार ने सभी सरकारी विभागों और सभी निजी कंपनियों से भी कहा है कि वे सब अपने अपने कर्मचारियों के लिए इसे मोबाइल पर डाउनलोड करना अनिवार्य कर दें। दिल्ली से सटे नोएडा में तो प्रशासन ने मोबाइल में इस ऐप को इंस्टॉल नहीं करने पर तो दंडनीय अपराध बना दिया है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अगर कोई बाहर दिखता है और उसके स्मार्टफ़ोन पर इस ऐप को नहीं पाया जाता है तो उसपर जुर्माना लगाया जा सकता है या जेल की सजा दी जा सकती है। ऐसा तब है जब इस ऐप को लॉन्च करते समय कहा गया था कि यह पूरी तरह स्वैच्छिक रहेगा। 

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दरअसल, आरोग्य सुरक्षा ऐप में डाटा सुरक्षा को लेकर यह ताज़ा मामला तब आया जब फ़्रांस में इथिकल हैकर यानी नैतिक रूप से सही हैकिंग करने वाले के तौर पर पहचाने जाने वाले इलिएट एल्डर्सन ने इस ऐप में सुरक्षा को लेकर चेतावनी दी। एल्डर्सन ने कांग्रेस नेता राहुल गाँधी को टैग करते हुए लिखा, 'हेलो, आरोग्य सेतु, आपके ऐप में एक सुरक्षा समस्या पाई गई है। 90 मिलियन भारतीयों की गोपनीयता दाँव पर है। क्या आप मुझसे निजी संपर्क कर सकते हैं? सादर। राहुल गाँधी सही थे।'

इस ट्वीट के बाद हैकर ने जानकारी दी कि भारत सरकार ने उनसे संपर्क साधा है। इसके बाद एक अन्य ट्वीट में हैकर ने कहा, '90 मिलियन भारतीयों के मेडिकल डेटा को रखना विकल्प नहीं है। मुझे ज़्यादा धैर्य नहीं है, इसलिए एक उचित समय सीमा के बाद, मैं इसका खुलासा करूँगा, चाहे आप इसे दुरुस्त करें या नहीं।'

हैकर के दावे के बाद आरोग्य सेतु के ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर जवाब दिया गया कि जो भी चिंताएँ जताई गई हैं उनमें कोई दम नहीं है। इसमें हर मुद्दे पर सफ़ाई पेश की गई। इसके बाद एल्डर्सन ने ट्वीट किया, 'मूल रूप से आपने कहा कि यहाँ कुछ भी देखने लायक नहीं है। हम देखेंगे। मैं कल वापस आपसे संपर्क करूँगा।'

इथिकल हैकर एल्डर्सन ने राहुल गाँधी की जिन चिंताओं का जिक्र किया है उसे उन्होंने दो मई को उठाया था। राहुल ने इसको लेकर ट्वीट किया था, 'यह ऐप निगरानी करने वाली काफ़ी उन्नत प्रणाली है जिसे आउटसोर्स कर निजी ऑपरेटर के हाथों में दे दिया गया है और इस पर कोई संस्थागत निरीक्षण नहीं है। इससे डाटा और लोगों की गोपनीय जानकारियों की सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा की आशंका है। प्रौद्योगिकी हमें सुरक्षित रखने में मदद कर सकती है; लेकिन नागरिकों की सहमति के बिना भय का लाभ उठाने के लिए उनको ट्रैक नहीं किया जाना चाहिए।'

इसके बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट किया था, 'हर रोज़ एक नया झूठ। आरोग्य सेतु एक शक्तिशाली साथी है जो लोगों की सुरक्षा करता है। इसमें एक मज़बूत डेटा सुरक्षा आर्किटेक्ट है। जो लोग अपने पूरे जीवन निगरानी करने में जुटे रहे, वे नहीं जानते कि अच्छे के लिए तकनीक का लाभ कैसे उठाया जा सकता है!'

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बता दें कि सरकार ने कहा है कि आरोग्य सेतु ऐप से कोरोना वायरस की कड़ी को तोड़ने में मदद मिलेगी और वायरस को फैलने से रोका जा सकता है। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वाले लोगों का पता लगाने के लिए इस ऐप को केंद्र सरकार द्वारा तैयार किया गया है। इस ऐप को 2 अप्रैल को लॉन्च किया गया था। यह ऐप ब्लू टूथ और लोकेशन डाटा के आधार पर ऐप का प्रयोग करने वाले की स्थिति पर निगरानी रखती है और यह भी कि वह किन-किन व्यक्तियों के संपर्क में आया है। 

इस ऐप के उपयोग करने वाले लोगों के 30 दिन के अंदर संपर्क में आए लोगों का डाटा सर्वर पर रखा जाता है। ऐसे में किसी कोरोना पॉजिटिव केस के आने पर या कोरोना फैलने का ख़तरा होने पर यह उस व्यक्ति के संपर्क में आए सभी लोगों को एलर्ट भेज देता है। हालाँकि इस ऐप से फ़ायदे के बीच ही साइबर सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञ निजी सूचना की सुरक्षा को लेकर चिंताएँ जता रहे हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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