जब 7 फ़रवरी, 2019 को समाजवादी पार्टी और बहुजन पार्टी के नेताओं सहित विपक्षी दल के नेता राज्यसभा में विश्वविद्यालयों में आरक्षण को लेकर संसद में क़ानून बनाए जाने या तत्काल अध्यादेश लाए जाने की बात कर रहे थे तो सरकार ने उच्चतम न्यायालय में रिव्यू पिटीशन दायर करने की बात कही। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राज्यसभा में कहा, ‘महोदय, कोर्ट का फ़ैसला आया कि डिपार्टमेंट वाइज अप्वाइंटमेंट करें। यह सरकार को मंज़ूर नहीं है। इसलिए हमने एसएलपी दायर की है और अभी फिर एसएलपी ख़ारिज़ हुई है। फिर उसके ख़िलाफ़ रिव्यू पिटीशन डाल रहे हैं। हम किसी भी प्रकार से शेड्यूल्ड कास्ट्स, शेड्यूल्ड ट्राइब्स और ओबीसी के आरक्षण पर आँच नहीं आने देंगे। यह हमारा निर्णय है। इसलिए हम रिव्यू करेंगे और हमें पूरा विश्वास है कि हमें न्याय मिलेगा। हमने बहुत तैयारी की है और हम अच्छा पक्ष रखेंगे। हमें पूरा विश्वास है कि हमें न्याय मिलेगा।’
यूनिवर्सिटी में आरक्षण के लिए अध्यादेश क्यों नहीं लाई मोदी सरकार?
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- 7 Mar, 2019

क्या मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर अब यह बता पाएँगे कि विश्वविद्यालयों में आरक्षण को लेकर उन्होंने अध्यादेश का विकल्प क्यों नहीं अपनाया?