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कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ एक और किसान ने आत्महत्या कर ली है। दिल्ली से सटे टिकरी बॉर्डर से तकरीबन सात किलोमीटर दूर हिसार ज़िले के एक गाँव में एक 49 वर्षीय किसान की लाश पेड़ से लटकती पाई गई है। पुलिस ने मामले की पुष्टि कर जाँच शुरू कर दी है।
याद दिला दें कि तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश और हरियाणा के इलाक़ों में हज़ारों किसान डेरा डाले हुए हैं। वे इन क़ानूनों को रद्द करने की माँग कर रहे हैं, जिससे सरकार लगातार इनकार कर रही है। सरकार उनकी बातों पर विचार करने और उसके अनुसार क़ानूनों में संशोधन करने को तैयार है, पर वह किसी सूरत में इन क़ानूनों को वापस नहीं लेगी। दूसरी ओर, आन्दोलनकारी किसानों का कहना है कि उन्हें क़ानून रद्द करने से कम कुछ भी स्वीकार नहीं है। जिच बरक़रार है और हज़ारों किसान मोर्चा संभाले हुए हैं।
बहादुर गढ़ सिटी पुलिस थाना के प्रभारी विजय कुमार ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, "पीड़ित व्यक्ति राजभर हिसार के एक गाँव का रहने वाला था, उसकी लाश पेड़ से लटकती हुई मिली है।"
कुछ किसानों ने लाश पेड़ से लटकती हुई देखी तो पुलिस को सूचना दी। एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसे समझा जाता है कि आत्महत्या करने वाले व्यक्ति ने लिखी है। उन्होंने उसमें कहा है कि 'तीन कृषि क़ानूनों की वजह से वह खुदकुशी कर रहा है।' उसने यह भी कहा कि 'सरकार उसकी अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द कर दे।'
उसके भी पहले पंजाब के एक सिख धर्मगुरू ने आत्महत्या कर ली थी और कहा था कि उनसे किसानों का दुख-दर्द देखा नहीं जा रहा है।
पिछले महीने हरियाणा के जिंद ज़िले के एक किसान ने टिकरी बॉर्डर से दो किलोमीटर दूर एक इलाक़े में इसी तरह आत्महत्या कर ली थी। उसकी भी लाश पेड़ से लटकती हुई मिली थी।
दिसंबर में पंजाब के एक वकील ने टिकरी बॉर्डर के पास ज़हर खाकर खुदकुशी कल ली थी। उसका कारण भी कृषि क़ानून बताया गया था।
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