इलेक्टोरल बॉन्ड में जिस तरह के अपारदर्शिता और काले धन के इस्तेमाल की आशंका जताई जा रही थी अब सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद यह सच साबित होता दिख रहा है। इलेक्टोरल बॉन्ड के अब जो आँकड़े आ रहे हैं उसमें चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है।
16,518 करोड़ भुनाए गए, 94% तो 1 करोड़ वाले इलेक्टोरल बॉन्ड थे
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- 16 Feb, 2024
इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद अब राजनीतिक दलों को इसके माध्यम से मिले चंदे को लेकर तरह-तरह के आँकड़े सामने आ रहे हैं। जानिए, इलेक्टरोल बॉन्ड से किसे किस रूप में फायदा हुआ।

राजनीतिक दलों ने 2018 से चुनावी बॉन्ड योजना के 30 चरणों में 16,518 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इन चरणों में लगभग 94 प्रतिशत बॉन्ड का फेस वैल्यू मूल्य 1 करोड़ रुपये था। तो सवाल है कि आख़िर एक-एक करोड़ रुपये के फेस वैल्यू के रूप में चंदा देने वाले कौन हो सकते हैं? जो एक करोड़ रुपये से ज़्यादा का चंदा देता है वह क्या कोई आम व्यक्ति हो सकता है? कहीं ऐसा तो नहीं कि इसमें से अधिकतर औद्योगिक घरानों से यानी कार्पोरेट चंदा दिया गया? यदि ऐसा हुआ तो सबसे ज़्यादा किस पार्टी को फायदा हुआ और किसने सबसे ज्यादा चंदा दिया?